एक भक्त को कृष्ण के उद्देश्य की सेवा करने का भरसक प्रयास करना चाहिए.

कभी-कभी किसी घातक स्थिति में कूटनीतियुक्त व्यवहार करना चाहिए, जैसा कि वासुदेव ने अपनी पत्नी को बचाने के लिए किया था. भौतिक संसार जटिल है, और अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए, ऐसी कूटनीति को अपनाने से कोई नहीं बच सकता है. कृष्ण को जन्म देने के लिए वासुदेव ने अपनी पत्नी को बचाने का हर संभव प्रयास किया. यह इंगित करता है कि व्यक्ति कृष्ण और उनके हितों की रक्षा करने के उद्देश्य से कूटनीतिपूर्ण व्यवहार कर सकता है. पूर्वकथित व्यवस्था के अनुसार, कृष्ण को वसुदेव और देवकी के माध्यम से कंस को मारने के लिए प्रकट होना था. इसलिए वसुदेव को परिस्थिति के अनुसार सब कुछ करना पड़ा. यद्यपि सभी घटनाओं को कृष्ण द्वारा पूर्वनिर्धारित किया गया था, तब भी किसी भक्त को कृष्ण के उद्देश्य की सेवा करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना चाहिए. कृष्ण स्वयं सर्वशक्तिमान हैं, किंतु ऐसा नहीं है कि एक भक्त को आलसी होकर बैठना चाहिए और सब कुछ उन पर छोड़ देना चाहिए. यह निर्देश भगवद गीता में भी मिलता है. यद्यपि कृष्ण अर्जुन के लिए सब कुछ कर रहे थे, तब भी अर्जुन कभी भी एक अहिंसक सज्जन के रूप में व्यर्थ नहीं बैठे रहे. बल्कि, उन्होंने युद्ध लड़ने और विजयी होने का भरपूर प्रयास किया.

स्रोत:अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), श्रीमद् भागवतम्, दसवाँ सर्ग, अध्याय 1 – पाठ 53