व्यक्ति बलराम की दया के बिना जीवन के लक्ष्य अर्जित नहीं कर सकता.
“बलराम व्यक्ति को बल देते हैं. बलराम नित्यानंद हैं. व्रजेंद्र-नंदन येई, सचि-सुत हेला सेई, बलराम हैला निताई. यह बल- बलराम–चैतन्य महाप्रभु के साथ आता है, और वे दोनों इतने दयालु हैं कि कलि के इस युग में कि व्यक्ति उनके चरण कमलों में बड़ी सरलता से शरण ले सकता है. वे विशेष रूप से इस युग की पतित आत्माओं का उद्धार करने के लिए आते हैं. पापी तपी यत चिला, हरि-नामे उद्धारिला. उनका शस्त्र संकीर्तना, हरि-नाम है. अतः व्यक्ति को कृष्ण से ज्ञान की तलवार को स्वीकारना चाहिए और बलराम की दया से शक्तिशाली बनना चाहिए. मुंडक उपनिषद (3.2.4) में यह कहा गया है:
नयां आत्मा बल-हीनेन लभ्यो न च प्रमदत तपसो वापी अलिंगत
एतैर उपयैर यतते यस् तु विद्वंस तस्यैसा आत्मा विशते ब्रह्म-धाम
व्यक्ति बलराम की दया के बिना जीवन के लक्ष्य को प्राप्त नहीं कर सकता. श्री नरोत्तम दास ठाकुर इसीलिए कहते हैं, निताइरा करुणा हाबे, व्रजे राधा-कृष्ण पाबे : जब व्यक्ति बलराम, नित्यानंद, की दया पा लेता है, तो वह बड़ी सरलता से राधा-कृष्ण के चरणारविंद पा सकता है. से संबंध नहीं यारा, बृथा जन्म गेला तारा, विद्या कुले हि करिबे तारा. यदि किसी का निताई, बलराम, के साथ कोई संबंध नहीं होगा, तब वह चाहे बहुत बड़ा ज्ञानी हो या उसने बहुत सम्मानीय परिवार में जन्म लिया हो, ये संपत्तियाँ उसकी सहायता नहीं करेंगी. इसलिए हमें बलराम से प्राप्त बल के साथ कृष्ण चेतना के शत्रुओँ पर विजय पानी होगी. ”
स्रोत- अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), “श्रीमद् भागवतम्”, सातवाँ सर्ग, खंड 15- पाठ 45


 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	






