एक शुद्ध भक्त सदैव ही भगवान की पारलौकिक प्रसन्नता को बढ़ाने में लगा होता है.
भगवान का परम व्यक्तित्व आत्म-निर्भर होता है, किंतु अपने पारलौकिक आनंद का भोग करने के लिए उन्हें अपने भक्तों के सहयोग की आवश्यकता होती है. उदाहरण के लिए, वृंदावन में भले ही भगवान कृष्ण स्वयं में पूर्ण होते हैं, तो भी वे अपने पारलौकिक आनंद को बढ़ाने के लिए ग्वाल बाल और गोपियों का सहयोग चाहते हैं. ऐसे निर्मल भक्त, जो भगवान के परम व्यक्तित्व की आनंद क्षमता को बढ़ा सकते हैं, उन्हें निश्चित ही सबसे प्रिय होते हैं. भगवान के परम व्यक्तित्व न केवल अपने भक्तों के संग का आनंद लेते हैं, बल्कि चूँकि वे असीमित होते हैं, वे अपने भक्तों को भी असीमित रूप से बढ़ाना चाहते हैं. अतः, वे अभक्तों और विद्रोही जीवों को वापस घर, परम भगवान के पास लौटने को प्रवृत्त करने के लिए इस भौतिक संसार में उतरते हैं. वे उनसे स्वयं के प्रति समर्पण करने का अनुरोध करते हैं, क्योंकि असीमित होने के नाते, वे अपने भक्तों को भी असीमित स्तर तक बढ़ाना चाहते हैं. कृष्ण चेतना आंदोलन परम भगवान के शुद्ध भक्तों की संख्या को अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास है. यह निश्चित है कि एक भक्त जो भगवान के परम व्यक्तित्व को संतुष्ट करने के इस प्रयास में सहायता करता है परोक्ष रूप से परम भगवान का एक नियंत्रक बन जाता है. यद्यपि परम भगवान छः एश्वर्यों से परिपूर्ण हैं, वे अपने भक्तों के बिना पारलौकिक आनंद का अनुभव नहीं करते हैं. एक उदाहरण जो इस संबंध में उद्धृत किया जा सकता है, वह यह है कि यदि किसी बहुत धनवान आदमी के परिवार में पुत्र नहीं हों तो वह प्रसन्नता का अनुभव नहीं करता. निस्संदेह, कभी-कभी कोई धनवान व्यक्ति अपनी प्रसन्नता को पूर्ण करने के लिए एक पुत्र गोद लेता है. पारलौकिक आनंद का विज्ञान शुद्ध भक्त को पता होता है. इसलिए शुद्ध भक्त हमेशा भगवान के पारलौकिक आनंद को बढ़ाने में लगा रहता है.
स्रोत – अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), “श्रीमद् भागवतम्” , नवाँ सर्ग, अध्याय 4 – पाठ 64


 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
	 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
			
			
		 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	 
		
		
	






