वे गीत जो स्वीकृत नहीं हैं या जो प्रामाणिक भक्तों द्वारा नहीं गाए जाते अनुमत नहीं होते.

कृष्ण चेतना आंदोलन में कोई भी गीत जो स्वीकृत नहीं हैं या जो प्रामाणिक भक्तों द्वारा नहीं गाए जाते अनुमत नहीं होते. मंदिर में कोई भी सिनेमा गीत गाने की अनुमित नहीं होती. भक्तजन सामान्यतः दो गीत गाते हैं. एक जय श्रीकृष्ण चैतन्य प्रभु नित्यानंद श्रीअद्वैत गदाधर श्रीवासादि गौर भक्त वृंद. यह प्रामाणिक है. इसका उल्लेख चैतन्य चरितामृत में हमेशा होता है, और यह आचार्यों द्वारा स्वीकृत है. और दूसरा, निस्संदेह, महामंत्र — हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण, हरे हरे, हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे है. नरोत्तम दास ठाकुर, भक्तिविनोद ठाकुर और लोचन दास ठाकुर के गीत भी अनुमत हैं, किंतु ये दो गीत– “श्रीकृष्ण चैतन्य” और हरे कृष्ण महामंत्र, भगवान के परम व्यक्तित्व को प्रसन्न करने के लिए पर्याप्त हैं.

स्रोत: अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), “श्रीमद् भागवतम्” , आठवाँ सर्ग, अध्याय 5 – पाठ 25