भगवान शिव ने भगवान विष्णु के पथ का पीछा इस प्रकार किया जैसे उन्हें कामुक इच्छाओं के वेष में कोई शत्रु सता रहा हो, जो बहुत कुशलता से व्यवहार कर रहा हो और जिसने मोहिनी का रूप ले लिया था. ठीक एक उन्मत्त बैल के समान हाथी एक हथिनी का पीछा करता है जो गर्भधारण करने योग्य होती है, भगवान शिव ने सुंदर स्त्रियों का पीछा किया और वीर्य का पात किया, पृथ्वी पर जहाँ भी भगवान शिव के महान व्यक्तित्व का वीर्य गिरा, वहाँ बाद में सोने और चांदी की खदानें प्रकट हो गईं. श्रील विश्वनाथ चक्रवर्ती ठाकुर टिप्पणी करते हैं कि जो लोग सोना और चांदी खोजते हैं उन्हें भौतिक वैभव के लिए भगवान शिव की उपासना करना चाहिए. भगवान शिव एक बेल वृक्ष के नीचे रहते हैं और रहने के लिए एक घर भी नहीं बनाते, किंतु भले ही वे स्पष्ट रूप से निर्धन हों, उनके भक्त कभी-कभी बड़ी मात्रा में चांदी और सोने से संपन्न होते हैं.

स्रोत – अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), “श्रीमद् भागवतम्” , आठवाँ सर्ग, अध्याय 12 – पाठ 31, 32 व 33

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