ऐसा प्रतीत होता है कि मनुष्य और असुर मृत्यु के अधीन हैं, जबकि देवता नहीं होते हैं. सत्यलोक में भगवान ब्रह्मा के साथ निवास करने वाले गण प्रलय के समय अपने वर्तमान शारीरिक सौष्ठव में वैकुंठलोक को जाते हैं. इसलिए यद्यपि हिरण्यकश्यपु ने घोर तपस्या की थी, भगवान ब्रह्मा ने भविष्यवाणी की कि उसे मरना होगा; वह अमर नहीं बन सका या देवताओं के समकक्ष स्थान भी नहीं पा सका. इतने वर्षों तक उसने जो घोर तपस्या की, वह उसे मृत्यु से सुरक्षा नहीं दे सकी. इसकी भविष्यवाणी भगवान ब्रम्हा द्वारा कर दी गई थी.

स्रोत: अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), श्रीमद् भागवतम्, सातवाँ सर्ग, अध्याय 3 – पाठ 21

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