चूँकि शरीर चिर काल तक नहीं रह सकता, व्यक्ति को शरीर का उपयोग आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति के लिए करना चाहिए. चूँकि शरीर चिर काल तक नहीं रह सकता, व्यक्ति को शरीर का उपयोग आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति के लिए करना चाहिए. Read More
साधना-सिद्ध और कृपा-सिद्ध भक्तों में क्या अंतर होता है? साधना-सिद्ध और कृपा-सिद्ध भक्तों में क्या अंतर होता है? Read More
पूर्ण रूप से कृष्ण की सेवा में लगे शरीर को भौतिक मानकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. पूर्ण रूप से कृष्ण की सेवा में लगे शरीर को भौतिक मानकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. Read More
शरीर की सहायता के बिना, व्यक्ति धर्म प्रणाली का निर्वाह नहीं कर सकता. शरीर की सहायता के बिना, व्यक्ति धर्म प्रणाली का निर्वाह नहीं कर सकता. Read More
सभी लोगों को, भले ही वे कर्मी, ज्ञानी, योगी या भक्त हों, निरपवाद रूप से वासुदेव के चरण कमलों की शरण लेनी चाहिए. सभी लोगों को, भले ही वे कर्मी, ज्ञानी, योगी या भक्त हों, निरपवाद रूप से वासुदेव के चरण कमलों की शरण लेनी चाहिए. Read More
भक्त किस प्रकार कर्मियों से हमेशा भिन्न होता है. भक्त किस प्रकार कर्मियों से हमेशा भिन्न होता है. Read More
समुद्र मंथन द्वारा सबसे पहले बहुत बड़ी मात्रा में विष निर्मित होता है. समुद्र मंथन द्वारा सबसे पहले बहुत बड़ी मात्रा में विष निर्मित होता है. Read More
कृष्ण चेतना का प्रसार करना परम कल्याणकारी गतिविधि है. कृष्ण चेतना का प्रसार करना परम कल्याणकारी गतिविधि है. Read More
भगवान चैतन्य व्यक्ति सदैव प्रसन्न और विजयी होता है. भगवान चैतन्य व्यक्ति सदैव प्रसन्न और विजयी होता है. Read More