श्रीमद् भागवतम् और महाभारत को कब संकलित किया गया था?

साधारण विद्वानों के बीच, श्रीमद्-भागवतम् के संकलन के संबंध में भिन्न-भिन्न विचार हैं. हालाँकि, भागवतम् के लेख से यह निश्चित है कि इसका संकलन राजा परीक्षित के लोप हो जाने से पहले और भगवान कृष्ण के अंतर्धान हो जाने के बाद हुआ है. जब महाराज परीक्षित भारत-वर्ष के राजा के रूप में विश्व पर शासन कर रहे थे, तब उन्होंने कलियुग को दंड दिया था. प्रगट शास्त्रों और ज्योतिषीय गणना के अनुसार, कलियुग अपने पाँच हजारवें वर्ष में है. इसलिए, श्रीमद्-भागवतम् के संकलन का समय पाँच हज़ार वर्षों से कम पहले का नहीं है. महाभारत को श्रीमद-भागवतम से पहले संकलित किया गया था, और पुराणों का संकलन महाभारत से पहले किया गया था. यह विभिन्न वैदिक साहित्य के संकलन की तिथि का अनुमान है। नारायण के एक शक्तिशाली अवतार, बादरायण (व्यासदेव) ने वैदिक ज्ञान को दुनिया में प्रसारित किया. इस प्रकार, वैदिक साहित्य, विशेषकर पुराणों का जप करने से पहले व्यासदेव को सम्मान दिया जाता है. शुकदेव गोस्वामी उनके पुत्र थे, और वैशंपायन जैसे ऋषि वेदों की विभिन्न शाखाओं के लिए उनके शिष्य थे. वे महान महाकाव्य महाभारत और महान पारलौकिक साहित्य भागवतम् के रचियता हैं. ब्रम्ह सूत्र–वेदांत-सूत्र, या बादरायण-सूत्र उनके द्वारा संकलित किए गए थे. जव वे कलियुग में सभी लोगों के कल्याण के लिए महान महाकाव्य महाभारत को दर्ज करना चाहते थे, तो उन्हें किसी शक्तिशाली लेखक की आवश्यकता का अनुभव हुआ जो उनके निर्देश ले सके. ब्रह्मा जी के आदेश पर, श्री गणेश जी ने इस शर्त पर श्रुतिलेखन का जिम्मा उठाया कि वेद व्यास एक क्षण के लिए भी निर्देश बंद नहीं करेंगे. इस प्रकार महाभारत को व्यास और गणेश के संयुक्त प्रयास द्वारा संकलित किया गया था. महाभारत को व्यासदेव ने कुरुक्षेत्र के युद्ध के बाद और महाभारत के सभी नायकों की मृत्यु के बाद संकलित किया था. इसका पहला पाठ महाराज परीक्षित के पुत्र, महाराज जनमेजय की राजसभा में किया गया था.

स्रोत:अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), “श्रीमद् भागवतम्”, प्रथम सर्ग, अध्याय 7 - पाठ 8 
अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), “श्रीमद् भागवतम्”, प्रथम सर्ग, अध्याय 9 - पाठ 6 और 7