देवाहुति अत्यधिक कामातुर थी, और इसलिए उसने अधिक अण्डाणु का स्राव किया, और नौ पुत्रियों का जन्म हुआ. स्मृति-शास्त्र में, और साथ ही आयुर्वेद में कहा गया है कि जब पुरुष का स्खलन अधिक होता है, तब पुत्र का गर्भधारण होता है, लेकिन जब स्त्री का स्राव अधिक होता है तब, पुत्रियाँ गर्भ में आती हैं. परिस्थितियों से ऐसा लगता है कि देेवाहुति अधिक कामातुर थी, और इसलिए उसे एक साथ नौ पुत्रियाँ हो गईं. हालाँकि सभी पुत्रियाँ, बहुत सुंदर थीं, और उनके शरीर रूपवान थे; प्रत्येक एक कमल के फूल के समान थी और उनकी सुगंध भी कमल के समान ही थी.
स्रोत:अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), "श्रीमद् भागवतम्", तृतीय सर्ग, अध्याय 23 - पाठ 48
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