तथाकथित संबंध भ्रम होते हैं.
नारद और अंगिरा मुनि द्वारा दिए गए निर्देश भ्रम की स्थिति वाली बद्ध आत्मा के लिए सच्चे आध्यात्मिक निर्देश हैं. यह संसार अस्थायी है, लेकिन हमारे पिछले कर्मों के कारण हम यहाँ आते हैं और शरीरों को स्वीकार करते हैं, समाज, मित्रता, प्रेम, राष्ट्रीयता और समुदाय के प्रसंग में अस्थायी संबंध बनाते हैं, जो सभी मृत्यु होने पर समाप्त हो जाते हैं. ये अस्थायी संबंध अतीत में मौजूद नहीं थे, न ही भविष्य में मौजूद होंगे. इसलिए वर्तमान समय में तथाकथित संबध भ्रम हैं.
अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), “श्रीमद् भागवतम्”, छठा सर्ग, अध्याय 15- पाठ 2