अग्नि अपना कार्य करती है, चाहे वह किसी अबोध बालक के हाथ में हो या कोई ऐसा जो इसकी शक्ति को जानता हो. उदाहरण के लिए, भूसे या सूखी घास के किसी मैदान में किसी वयस्क व्यक्ति द्वारा जो अग्नि की शक्ति जानता है या किसी बालक द्वारा आग लगाई जाती है, तो घास जलकर राख हो जाएगी. उसी प्रकार किसी व्यक्ति को हरे कृष्ण मंत्र का जाप करने की शक्ति का ज्ञान हो सकता है या नहीं भी, लेकिन यदि कोई पवित्र नाम का जप करता है तो वह सभी पापमय प्रतिक्रियाओं से मुक्त हो जाएगा. पश्चिमी देशों में, जहाँ हरे कृष्ण आंदोलन फैल रहा है, विद्वान और अन्य विचारशील पुरुष इसकी प्रभावशीलता को महसूस कर रहे हैं, यह आंदोलन नशीली दवाओं के आदी हिप्पियों को शुद्ध वैष्णवों में परिवर्तित कर रहा है, जो स्वेच्छा से कृष्ण और मानवता के सेवक बन गए हैं. कुछ वर्षों पहले, ऐसे हिप्पियों को हरे कृष्ण मंत्र का पता नहीं था, लेकिन अब वे इसका जप कर रहे हैं और शुद्ध वैष्णव बन रहे हैं. इस प्रकार वे सभी पापमय गतिविधियों से मुक्त हो रहे हैं, जैसे कि अवैध मैथुन, नशा, मांस-भक्षण और जुआ. यह हरे कृष्ण आंदोलन की प्रभावशीलता का व्यावहारिक प्रमाण है. हो सकता है व्यक्ति हरे कृष्ण मंत्र के जाप का महत्व समझता या न समझता हो, लेकिन यदि किसी प्रकार इसका जाप करता है, तो वह तुरंत शुद्ध हो जाता है, वैसे ही जैसे कोई शक्तिशाली औषधि लेकर उसका प्रभाव अनुभव करेगा, चाहे वह उसे जाने-अनजाने कैसे भी ग्रहण करे.

स्रोत: अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी), “श्रीमद् भागवतम्”, छठा सर्ग, अध्याय 2- पाठ 18, 19

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