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- राधारानी कौन हैं? (1,076)
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- भगवद् गीता में दिए गए विभिन्न वर्ण और आश्रम क्या हैं? (1,061)
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- भगवान कृष्ण प्रत्यक्ष अवतार हैं. (1,035)
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- आसुरी जनसंख्या की वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए गर्भाधान प्रक्रिया का पालन करना महत्वपूर्ण है. (1,023)
- श्रीमद् भागवतम् और महाभारत को कब संकलित किया गया था? (1,021)
- मानव एक सामाजिक प्राणी है और रूपवान लिंग से उसका अप्रतिबंधित मेलजोल पतन की ओर ले जाता है (1,018)
- जितना अधिक व्यक्ति यौन सुख का आसक्त होता है, उतनी ही शीघ्रता से उसकी मृत्यु होने की आशंका होती है. (1,014)
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- मानव को शास्त्रों की सहायता से अपने जीवन की मूल स्थिति को पुनर्जीवित करने का अवसर दिया जाता है. (963)
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- समय का कारक इतना बाध्यकारी होता है कि कालांतर में इस भौतिक संसार की सभी वस्तुएँ समाप्त हो जाती हैं या खो जाती हैं. (957)
- भगवान ने इस भौतिक संसार की रचना क्यों की? (957)
- कलियुग में, कोई भी जीव पापमय गतिविधि का पीड़ित तब तक नहीं बनता जब तक कि वह कृत्य वास्वव में नहीं किया जाता. (947)
- यहाँ तक कि ब्रम्हा जैसे महान देवता और भगवान शिव भी स्त्री सौंदर्य से मोहित हो जाते हैं. (947)
- काल और दिक् (944)
- वेद और पुराणों में क्या अंतर है? (940)
- प्रत्येक व्यक्ति को नियत कर्तव्य निभाने पड़ते हैं. (940)
- कर्म के नियम के परिणामों को केवल भगवान ही बदल सकते हैं. (937)
- जब पुरुष का स्खलन अधिक होता है, तब पुरुष शिशु गर्भ में आता है. (935)
- मोक्ष की प्राप्ति के लिए अनुकूल संतति का निर्माण करके व्यक्ति भगवान की सेवा कर सकते हैं. (935)
- भगवान की दृष्टि के बिना कोई भी भौतिक रचना नहीं हो सकती. (934)
- क्या भौतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए गुरु के पास जाना गलत है? (929)
- शास्त्रों के अनुसार धर्म के क्या सिद्धांत हैं? (928)
- क्या जाप करना एक ही जैसा नीरस नहीं है? (920)
- परम भगवान सदैव सर्वश्रेष्ठ हैं. (919)
- वर्तमान संकट के लिए पिछले कर्म किस प्रकार उत्तरदायी होते हैं? (914)
- समय (काल) का प्रभाव अलौकिक स्तर पर कार्यशील नहीं होता. (913)
- भगवान के पास कौन पहुँच सकता है? (910)
- कलियुग के लिए श्रीमद्-भागवतम् की कुछ भविष्यवाणियाँ. (910)
- यमराज के धाम में दंड की प्रक्रिया. (910)
- वेदों में लिखी बातों का विश्वास हमें क्यों करना चाहिए? (910)
- क्या भगवान कृष्ण के भक्तों को अपने पिछले कुकर्मों के लिए कष्ट भोगना पड़ेगा? (906)
- भगवान भौतिक संसार का निर्माण अपनी संतुष्टि के लिए नहीं करते. (904)
- अर्जुन भगवद् गीता का माध्यम थे जबकि उनके पोते परीक्षित श्रीमद् भागवतम् के लिए माध्यम बने. (902)
- भगवान का आदर्श व्यवहार हमें शिक्षा देने के लिए है. (901)
- जीवन की अवधि भिन्न-भिन्न प्राणियों के लिए भिन्न कैसे है? (896)
- महत्-तत्व विशुद्ध चेतना की परछाईं है जहाँ से जीवों के मिथ्या अहंकार का जन्म होता है. (889)
- क्या जाप करने के कोई नियम हैं? जाप की क्या प्रक्रिया है? (889)
- धर्म क्या है? (886)
- मिथ्या अहंकार स्वतंत्रता के दुरुउपयोग से उपजता है. (885)
- हमें भौतिक शरीर को कब तक स्वीकारना होगा? (884)
- क्या हम योग के माध्यम से भगवान का अनुभव कर सकते हैं? (876)
- वर्तमान तथाकथित हिंदू नियम शास्त्रों के अनुसार नहीं है? (870)
- सात महासागर ओर सात द्वीपों की रचना कैसे हुई? (869)
- कोई भी भौतिक वैज्ञानिक प्रगति जीवन का निर्माण नहीं कर सकती. (868)
- मनु-संहिता समस्त मानव समाज के लिए नियमों की पुस्तक है. (866)
- जब प्रत्येक वस्तु और कुछ नहीं, स्वयं भगवान ही है, तो हमें भगवान की पूजा क्यों करना चाहिए? (861)
- देवता कौन हैं, क्या देवता मानव भी हैं? (859)
- यह कृष्ण चेतना आंदोलन बस कृष्ण की उपासना का ही पक्ष क्यों लेता है? (859)
- क्या भगवान को देखना संभव है? (855)
- भगवान चैतन्य कौन हैं? (842)
- मुक्ति के प्रकार. (839)
- आध्यात्मिक संसार में कोई यौन संबंध नहीं होते. (837)
- समय (काल) का नियंत्रण सब पर है. (837)
- ब्रम्हांड के विघटन के बाद भिन्न-भिन्न आत्माओं का क्या होता है? (833)
- क्या विभिन्न धर्मों के अनुयायी भी वैष्णव होते हैं? (824)
- भगवान सभी के हृदय में साक्षी के रूप में स्थित हैं. (821)
- जीव पहले वह शरीर स्वीकार करता है जो मानव रूप में हो. (816)
- दहेज सद्भावना दिखाने के लिए पिता द्वारा पुत्री को दिया गया उपहार है. (815)
- परम सत्य सदैव के लिए सुंदर होता है. (814)
- देवी काली सामिष भोजन कभी स्वीकार नहीं करतीं क्योंकि वे भगवान शिव की पवित्र पत्नी हैं. (814)
- किसी से प्रेम करना हमारी प्रकृति में है. (810)
- भौतिक शरीर से मुक्ति पाकर आत्मा कहाँ जाती है? (808)
- भगवान की इच्छा के बिना घास का एक तिनका भी नहीं हिलता. (807)
- हम अपने नित्य जीवन में कई सारे कीटों और प्राणियों को अनजाने में मार देते हैं, क्या हमें इसका प्रतिफल भोगना पड़ेगा? (801)
- आध्यात्मिक जीवन/भगवान से संबंध रखने के लिए तप की आवश्यकता क्यों होती है? (800)
- हमारे हृदय में भगवान की उपस्थिति को व्यक्ति कैसे देख सकता है? (797)
- ध्रुवलोक नामक, ध्रुवतारा, ब्रम्हांड की धुरी है, और सभी ग्रह इसी ध्रुवतारे की परिक्रमा में ही गति करते हैं. (791)
- जिस प्रकार माता का लगाव शिशु के साथ सहज होता है, उसी प्रकार, भगवान हमेशा प्रत्येक जीव के प्रति स्नेहिल होते हैं. (790)
- भौतिक संसार के जंगल में स्त्री का पीछा करना जारी है. (788)
- आध्यात्मिक संसार में यौन जीवन का कोई महत्व नहीं है. (779)
- आरंभ में ब्रम्हा ने केवल संत समान पुत्र ही नहीं उत्पन्न किए अपितु राक्षसी संतानें भी रचीं. (774)
- पुराने समय में भी अंतर्जातीय विवाह प्रचलित थे. (771)
- भौतिक संबंध परिपूर्ण नहीं होते. (771)
- समान प्रवृत्ति के जीवनसाथी से विवाह करना क्यों आवश्यक है? (766)
- शास्त्रों के अनुसार धर्म के क्या सिद्धांत हैं? (765)
- आत्मा का स्थानांतरगमन क्या होता है? (764)
- क्या अन्य ग्रहों पर जीवन है? (764)
- जैन धर्म का आरंभ (760)
- परम भगवान श्रीकृष्ण सभी जीवों के पिता हैं. (759)
- भगवान ने स्वयं के शरीर में ही प्रस्थान किया. (752)
- क्या धर्म भगवान ने बनाया है? (748)
- क्या भगवान कोई व्यक्ति हैं? (747)
- क्या भगवान दया करने में भेदभाव करते हैं? (744)
- मैं कौन हूँ? (744)
- मन हमारे पिछले जीवन के दौरान आए विभिन्न विचारों और अनुभवों का भंडार है. (743)
- लोग देवताओं की पूजा क्यों करते हैं? (742)
- कृष्ण की 16,000 से भी अधिक पत्नियाँ क्यों थीं? (740)
- किसी जीव की परिणामी कर्म उसे विभिन्न प्रकार के शरीरों के स्वीकार करने के लिए बाध्य करती हैं. (738)
- वैष्णव-अपराध एक प्रकार से भक्ति सेवा के प्रति बाधा होता है. (734)
- सभी प्राणियों को परम भगवान का अंश कहा जाता है. (734)
- जीवित ऊर्जा के बिना, ऐसी कोई संभावना नहीं होती कि पदार्थ उत्पन्न हो सकें. (731)
- पूजा के ढंग में परिवर्तन विशिष्ट समय, देश और सुविधा के अनुसार अनमत हैं. (731)
- मिथ्या अहंकार के द्वारा ही सभी भौतिक वस्तुओं का निर्माण भोग के साधनों के रूप में होता है. (727)
- भगवान अवैयक्तिक नहीं हैं. (726)
- भगवान और उनके सहयोगी भगवान की इच्छा से प्रकट और अप्रकट होते हैं. (725)
- मन अच्छाई में अहंकार का उत्पाद है और बुद्धि लालसा में अहंकार का उत्पाद है. (725)
- भगवान के आत्म और भगवान के पारलौकिक शरीर में कोई अंतर नहीं होता है. (722)
- भगवान किसी भी जीव की भूमिका पूर्णता से निभा सकते हैं. (721)
- मिथ्या अहंकार जीवों को किस प्रकार विस्मृति के बंधन में फ़ंसा लेता है. (714)
- इस भौतिक संसार में तथाकथित प्रेम और कुछ नहीं बल्कि यौन संतुष्टि है. (713)
- भगवान परम भगवान के चार व्यक्तित्वों के रूप में विस्तार लेते हैं. (712)
- यह प्रमाण कहाँ है कि मैं पिछले कर्मों के प्रतिफल का ही कष्ट उठा रहा हूँ और आनंद ले रहा हूँ? (709)
- भगवान अवतार क्यों लेते हैं? (706)
- मृत्यु के समय हर जीवित व्यक्ति को चिंता होती है कि उसकी पत्नी का क्या होगा. (705)
- भगवान कृष्ण शत प्रतिशत हैं. (704)
- मूर्ति पूजा. (704)
- भगवान का पुरुष अवतार. (700)
- यमराज द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति को अगली बार उसके पिछले कर्मों के अनुसार किस प्रकार का शरीर मिलेगा. (700)
- भगवान शिव सभी के आध्यात्मिक गुरु हैं, उदासीन दैत्यों और अत्यंत विद्वान वैष्णव दोनों के. (696)
- भगवान कृष्ण की नित्य लीलाएँ बिना अंत के चली आ रही हैं. (688)
- परम भगवान सभी संसारों के दृष्टा हैं. (688)
- गर्भनिरोधी विधियों से जनसंख्या सीमित करना भी पापमय कर्म है. (688)
- भगवान विष्णु (कृष्ण) को त्रि-युग के रूप में जाना जाता है. (681)
- कृष्ण के अनुयायी माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं? (666)
- मूर्ख लोग आत्मा के अस्तित्व से इंकार करते हैं. (665)
- हर कोई परम भगवान के नियंत्रण के अधीन है. (662)
- जिन जीवों के पास जीवन शक्ति होती है वे निष्क्रिय पदार्थ से श्रेष्ठ होते हैं. (647)
- सामान्य भौतिक बद्ध आत्माएँ अटकलें लगाती हैं कि भगवान उनमें से एक हैं. (634)
- गोपियों का कृष्ण के लिए प्रेम भौतिक नहीं है? (629)
- व्यक्ति किसी अवतार के लक्षण कैसे समझ सकता है? (629)
- कभी-कभी भगवान ब्रह्मा, नारद या भगवान शिव जैसे महान व्यक्तित्वों को भी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है. (623)
- सभी नक्षत्र – तारे, सूर्य और चंद्रमा – सीमित आत्मा की गतिविधियों के साक्षी हैं. (623)
- हमें भगवान को अपने आकर्षण का केंद्र क्यों बनाना चाहिए. (622)
- जीव का बोध तब सक्रिय हो जाता है जब स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर विकसित हो जाते हैं. (618)
- एक स्त्री को सन्यास नहीं लेना चाहिए. (616)
- क्या अवयक्तिवादी और नास्तिक भी भगवान के धाम में स्थान प्राप्त करते हैं? (613)
- सर्वोच्च इच्छा अंतिम निर्णय है. (605)
- मन हमें हमेशा ऐसा करने या वैसा करने को कहता रहता है. (601)
- कलियुग के लक्षण. (593)
- भगवान शिव कौन हैं? (591)
- भगवान एक हैं. (589)
- विशुद्ध भक्ति सेवा के लक्षण. (587)
- द्क्ष (शिव के श्वसुर) का श्राप अप्रत्यक्ष रूप से शिव के लिए वरदान था. (583)
- महाजन कौन होते हैं. (578)
- भगवान का ध्वनि से प्रतिनिधित्व स्वयं भगवान के समान कैसे होता है? (578)
- भगवान कभी-कभी अपनी युद्ध भावना को प्रकट करने के लिए एक अवतार के रूप में भौतिक संसार में आते हैं. (574)
- भगवान बुद्ध ने आत्मा के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी है. (574)
- भक्ति क्या है? (570)
- जीवन पदार्थ से मिलता है या पदार्थ जीवन से मिलता है? (565)
- भगवान के परम व्यक्तित्व में न तो वासना होती है न ही क्रोध. (563)
- भगवान की भक्ति सेवा सभी परिस्थितियों में अनियंत्रणीय होती है. (562)
- मायावादी और एक विशुद्ध भक्त में अंतर. (561)
- भगवान शिव के कुछ अनुयायी उनकी नकल करते हैं और गांजा (मारिजुआना) जैसे नशीले पदार्थ लेने का प्रयास करते हैं. (556)
- कृष्ण के प्रति सहज आकर्षण. (555)
- आध्यात्मिक संसार के लक्षण. (552)
- भक्ति सेवा के लिए सुनने (श्रवणम्) का सुझाव क्यों दिया जाता है? (551)
- एक मनुष्य इस भौतिक संसार से किस प्रकार आसक्त रहता है? (543)
- हमारे ध्यान का प्रयोजन क्या होना चाहिए? (543)
- किसी भक्त की संगति महत्वपूर्ण क्यों है? (543)
- प्रकृति की भौतिक अवस्थाएँ. (536)
- मांसाहारी भोजन करने का निषेध क्यों है, शाकाहारी भोजन करने पर पौधों जैसे गतिहीन प्राणियों की हत्या भी शामिल होगी? (535)
- बद्ध जीव मिथ्या भोगी क्यों होते हैं? (534)
- भक्ति हमारे इंद्रिय तुष्टि के आकर्षण को कैसे कम कर सकती है? (532)
- भगवान रामचंद्र छः एश्वर्यों के साथ एक पूर्ण अवतार हैं. (525)
- भगवान को कैसे अनुभव किया जा सकता है? भगवान के रूप (521)
- भगवान के पारलौकिक गुण. (520)
- भक्त भौतिक समृद्धि की कामना नहीं करता. (517)
- एक भक्त कभी भी उलटफेर से व्याकुल नहीं होता, जब भगवान के परम व्यक्तित्व द्वारा कोई व्यवस्था की जाती है. (516)
- यदि कोई भक्ति सेवा में रत हो, तो हो सकता है उसे वर्णाश्रम-धर्म की प्रणाली से नहीं गुज़रना होगा. (516)
- आत्म-निर्भर होने के कारण, परम भगवान को महान बलियों की आवश्यकता नहीं होती. (513)
- भक्तों के प्रकार. (508)
- परम भगवान की ऊर्जाएँ. (507)
- भौतिक भोग छोड़ने के बाद व्यक्ति कैसे जीवन यापन कर सकता है? (504)
- एक विशुद्ध भक्त कभी भी भौतिक सांसारिक प्रसंगों में नहीं उलझता है. (502)
- यदि मैं इस जीवन में कृष्ण चेतना अर्जित करने में असफल रहूँ, तो मेरे आगामी जीवन में क्या होगा? (502)
- विभिन्न युगों में भगवान की पूजा विभिन्न प्रकार से की जाती है. (501)
- कृष्ण ही मूल भोक्ता हैं. (495)
- यदि आप आध्यात्मिक सेवा में नहीं जुड़े हैं तो त्यागी जीवन की व्यवस्था कार्य क्यों नहीं करेगी? (495)
- परम भगवान हमारी जीवन शैली को निर्देशित करने की समस्त शक्ति रखते हैं, फिर वे ऐसा क्यों नहीं करते? (494)
- विभिन्न प्रकार की मुक्तियाँ क्या हैं जिन्हें व्यक्ति पा सकता है? (494)
- जीवन के मानव रूप को महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? (490)
- भक्ति क्यों मुक्ति से श्रेष्ठ है? (490)
- स्मृति और विस्मृति कृष्ण से ही आती है. (488)
- एक भक्त अपनी वास्तविक अवस्था के प्रति हमेशा सचेत रहता है. (486)
- प्रयोजन के साथ भक्ति. (484)
- हमें दान किसे करना चाहिए? (482)
- क्या कृष्ण चेतना के अभ्यास के लिए वेश-भूषा, रूप-रंग जैसे किसी विशेष नियम का पालन करना होता है? (481)
- श्रेष्ठ का अनुगमन करना क्यों महत्वपूर्ण है? (473)
- श्राद्ध क्या है? भगवान के भक्त को ऐसे कर्मकांड करने की आवश्यकता नहीं होती है. (461)
- वह दर्शन जो भगवान की भक्ति सेवा का लक्ष्य नहीं करती उसे मानसिक अटकल माना जाता है. (460)
- भगवान की योजना को कोई नहीं जान सकता. (453)
- मृत्यु के समय व्यक्ति उन विचारों में खो जाएगा जो उसने जीवन भर की अवधि में पोषित किए हैं. (445)
- कृष्ण चेतना में जब कोई नवदीक्षित बहुत अधिक खाता है तो वह नीचे गिरता है. (444)
- भौतिक प्रकृति की तीन अवस्थाओं के बाध्यकारी प्रभाव कभी भी नहीं जीते जा सकते. (441)
- यदि कर्म के नियम के अनुसार सब कुछ पूर्वनिश्चित है तो फिर हमें कार्य क्यों करना चाहिए? (440)
- अवैध यौन संबंध के कारण कई भक्त पतित हो जाते हैं. (436)
- हमारी वैधानिक स्थिति सेवा करने की है. (426)
- कोई भक्त अपने पिछले दुर्व्यवहार और अनैतिक गतिविधियों से कैसे प्रभावित होता है? (421)
- विविधता भोग की जननी है. पूर्ण सत्य भिन्नता से भरा है. (418)
- भौतिक संसार बद्ध आत्मा को किस प्रकार दुख पहुँचाता है? (415)
- निर्बल ही बलवान का भोजन है. हमें भगवान को भोजन क्यों चढ़ाना चाहिए? क्या हम भगवान को मांस भेंट कर सकते हैं? (414)
- एक भक्त को बहुत सादा जीवन जीना चाहिए और विपरीत तत्वों के द्वैत से बाधित नहीं होना चाहिए. (414)
- अतीत की गतिविधियों की निरंतरता के रूप में मुक्त आत्मा की गतिविधियों को स्वीकार किया जाएगा. (414)
- मानव जीवन तथाकथित आर्थिक विकास या भौतिक विज्ञान की उन्नति के लिए नहीं है. (408)
- भौतिक विज्ञान की कोई भी वैज्ञानिक उन्नति कभी भी जीव को उत्पन्न नहीं कर सकती है. (406)
- कृष्ण चेतना में कुछ भी प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन हर चीज़ को युक्त, नियमित बनाया गया है. (403)
- भौतिक संपन्नता भगवान की दया पर निर्भर होती है. (401)
- इंद्रिय तुष्टि की वैदिक प्रक्रिया की योजना इस प्रकार बनाई गई है कि व्यक्ति अंततः मुक्ति पा सके. (400)
- भगवान किस प्रकार से झूठी अनासक्ति को मिटाने में सहायता देते हैं? (398)
- कई बार देखा गया कोई भी पदार्थ अंततः संतृप्ति के नियम से अनाकर्षक हो जाता है. (397)
- स्वर्गीय ग्रहों में, यद्यपि पुरुष और स्त्रियाँ मैथुन का आनंद लेते हैं, लेकिन वहाँ कोई गर्भधारण नहीं होता. (395)
- भौतिक गीत पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम का वर्णन करते हैं. (394)
- मेरे पास सभी भौतिक एश्वर्य हैं मुझे भगवान तक क्यों जाना चाहिए? (393)
- आत्म बोध के लिए या इंद्रिय संतुष्टि के लिए तपस्या? (392)
- भगवान के व्यक्तिगत रूप का बोध योग का उच्चतम आदर्श चरण है. (390)
- संसार की गतिविधियाँ पुरुष और स्त्री के केंद्रीय आकर्षण के द्वारा प्रचालित की जा रही हैं. (388)
- इंद्रिय तुष्टि को बुरा क्यों माना जाता है? (388)
- भगवान रामचंद्र, भगवान कृष्ण के समान ही हैं. (385)
- भौतिक प्रगति बुरी नहीं है, उसका उपयोग भगवान की सेवा में करें. (385)
- क्या कृष्ण अपने भक्तों की भौतिक कामनाओं को पूरा करते हैं? (383)
- क्या कामनाविहीन होना संभव है? (383)
- मानवों को माया के अधीन क्यों रखा जाता है? (382)
- भगवान शिव से भौतिक आशीर्वाद प्राप्त करना कठिन नहीं है. (381)
- इस संसार में शांति कैसे पाई जा सकती है? (381)
- परम स्तर आध्यात्मिक है जबकि भौतिक संसार द्वैत से भरा है. (377)
- हर किसी को छिपा हुआ खजाना का वर मिला हुआ है. (375)
- यदि अभक्तों की कामनाएँ पूरी की जाती हैं, तो भक्तों की क्यों नहीं? (375)
- मैं कष्ट क्यों भोग रहा हूँ? (374)
- अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करके, जीव भगवान की सेवा से पतित हो जाता है. (374)
- आध्यात्मिक संसार में लोग अपने वास्तविक घर के बारे में नहीं जानते. (373)
- हमें भक्ति सेवा निष्पादित करते समय सावधान रहना चाहिए. (373)
- मानव रूप भौतिक प्रकृति का विशेष उपहार है. (372)
- आध्यात्मिक पथ इतना मंगल होता है कि एक भक्त किसी भी स्थिति में नहीं खो सकता. (371)
- भगवत-धर्म में यह प्रश्न नहीं होता कि “आप क्या विश्वास करते हैं” और “मैं क्या विश्वास करता हूँ”. (367)
- यमराज कौन हैं? (367)
- मानव जन्म आत्म-साक्षात्कार के लिए एक महान अवसर होता है. (362)
- माँ जुड़वाँ बच्चों को उल्टी अवस्था में जन्म देती है जैसे कि वे गर्भ में पहली बार आए थे. (361)
- मिथ्या ब्राम्हण की सेवा करके व्यक्ति को लाभ नहीं मिलेगा. (361)
- हर कोई बुद्धि के विभिन्न स्तरों से संपन्न होता है. (360)
- जनसंख्या में वृद्धि के कारण पृथ्वी पर कभी भी अधिक भार नहीं पड़ा है. (358)
- भौतिक संसार में कोई सुख नहीं है. (356)
- भक्तों के मध्य विवाह. (355)
- ब्राम्हण कौन होता है? (355)
- योग अभ्यास उन व्यक्तियों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है जिनके पास जीवन की बहुत लंबी अवधि है. (353)
- लोग आध्यात्मिक जीवन में रुचि नहीं रखते. (351)
- जब एक भक्त किसी तीर्थस्थान पर स्नान करता है, तो पापी पुरुषों द्वारा छोड़ी गई पापमय प्रतिक्रियाएँ निष्प्रभावी हो जाती हैं. (351)
- इंद्रियाँ शरीर के भीतर की दस प्रकार की वायुओं से बल पाती हैं. (347)
- देवताओं के नाम के आधार पर कीर्तन करना दोष होता है. (344)
- कलि-युग में पति और पत्नी के बीच का संबंध यौन शक्ति पर आधारित होगा. (335)
- ब्राम्हण और वैष्णव किसी अन्य के व्यय पर नहीं रहते. (333)
- जो तमो गुण के माध्यम से मानव रूप में आते हैं, वे अपने पिछले जीवन में वानर थे. (325)
- भगवान का गुणगान व्यक्ति के हृदय से मैल को पूर्ण रूप से मिटा देता है. (319)
- परिवार की आसक्ति सर्वशक्तिशाली भ्रम है. (319)
- सोम पेय कोई सामान्य मादक मदिरा नहीं है. (316)
- इन्द्रिय संतुष्टि के उद्देश्य से और परम भगवान को संतुष्ट करने के उद्देश्य के लिए भौतिक गतिविधियाँ. (315)
- हमें चिढ़ने के स्थान पर चीज़ों को सहन करना चाहिए. (312)
- पृथु महाराज ने संसार पर शासन किया था. (311)
- भगवान के बारे में अटकलें न लगाएँ (310)
- दुर्लभ परिस्थितियों में जब अनाज की आपूर्ति नहीं होती है, तो सरकार मांस खाने की अनुमति दे सकती है. (310)
- भाग्य की देवी (लक्ष्मी) को गोपियों के समान उपकार नहीं मिल सकता था। (308)
- स्त्री और पुरुष दोनों को ही भगवान की सेवा की ओर आकृष्ट होना चाहिए. (307)
- कलियुग में, प्रशासकों की व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं के लिए नागरिकों से कर वसूला जाता है. (306)
- जनसंख्या को सामान का उपयोग करने का अधिकार केवल उसे भगवान के परम व्यक्तित्व को अर्पण कर देने के बाद ही होता है. (303)
- गृहस्थ जीवन का भोग करना दोष क्यों होता है? (303)
- वैदिक सिद्धांतों के अनुसार, किसी स्त्री के कई पति नहीं हो सकते. (302)
- भगवान द्वारा रची गई स्त्री माया का ही प्रतिनिधित्व है. (300)
- श्राद्ध क्यों किया जाता है? (298)
- भगवान शिव सदैव भगवान संकर्षण का ध्यान तल्लीनता में करते हैं. (297)
- लोगों की भौतिक स्थिति को सुधारना असंभव है. (297)
- यदि व्यक्ति परम भगवान तक वापस लौटना चाहता है, तो उसे स्वयं ही यौन जीवन से परहेज करना चाहिए. (296)
- भौतिकवादी व्यक्ति परम भगवान की पारलौकिक गतिविधियों मे रुचि नहीं लेते. (295)
- यज्ञ का अर्थ विष्णु है. (294)
- एक बच्चा सामान्यतः अपने मामा के घर के सिद्धांतों का अनुसरण करता है. (294)
- भौतिक अस्तित्व का वन. (293)
- एक वैष्णव के गुण. (291)
- ऐसा क्यों है कि लक्ष्मी, इतनी पवित्र पत्नी होकर भी, कृष्ण से संबंध चाहती हैं? (291)
- यदि सभी लोग मोक्ष प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक गतिविधियों में रत होंगे, तो चीज़ें वैसी की वैसी कैसे चल सकेंगी? (287)
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- स्त्रियाँ स्वभाव से ही स्वार्थी होती हैं. अगस्त 29, 2020
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- भौतिक संसार में व्यक्ति प्रत्येक पग पर कष्ट भोगता है, वह भोग करने के अपने प्रयास बंद नहीं करेगा. अगस्त 26, 2020
- पिता का कर्तव्य अपने पुत्रों को सांस्कृतिक शिक्षा देना होता है. अगस्त 26, 2020
- जो मांस भक्षण करना चाहते हैं वे निम्नतर प्राणियों को खाकर अपनी जिव्हा को तृप्त कर सकते हैं. अगस्त 26, 2020
- भले ही भौतिक उद्देश्यों के लिए, किंतु व्यक्ति को भगवान के परम व्यक्तित्व के अतिरिक्त किसी भी और की उपासना नहीं करना चाहिए. अगस्त 26, 2020
- लक्ष्मीदेवी किसी भौतिकवादी व्यक्ति को अपना आशीर्वाद नहीं देतीं. अगस्त 26, 2020
- लक्ष्मी को रखने की सर्वश्रेष्ठ विधि उन्हें नारायण के साथ रखना होती है. अगस्त 25, 2020
- जीव केवल अपनी शक्ति द्वारा जीवित रह सकते हैं. अगस्त 12, 2020
- लगातार कृष्ण का चिंतन करने की दो विधियाँ होती हैं – भक्त के रूप में और किसी शत्रु के रूप में. अगस्त 12, 2020
- एक भक्त स्वाभाविक रूप से इतना विनम्र और मृदुल होता है कि वह जीवन की किसी भी स्थिति को भगवान के आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करता है. अगस्त 12, 2020
- अभक्त लोग परम भगवान या उनके भक्तों में उपस्थित विरोधाभास को नहीं समझ सकते. अगस्त 12, 2020
- दीक्षा के समय नाम परिवतर्ति करना आवश्यक क्यों होता है? अगस्त 12, 2020
- देवता यज्ञ के चढ़ावे को स्वीकार नहीं कर सकते. अगस्त 12, 2020
- एक वैष्णव के गुण. अगस्त 11, 2020
- अति विकसित आध्यात्मवादी सुझाते हैं कि व्यक्ति को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं लेना चाहिए. अगस्त 11, 2020
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- आध्यात्मिक जीवन के अनुसार जितना हो सके स्वर्ण से बचना चाहिए. अगस्त 11, 2020
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- वर्तमान समय में कई संप्रदाय हैं जो प्रामाणिक नहीं हैं. जुलाई 31, 2020
- अवैध यौन संबंध के कारण कई भक्त पतित हो जाते हैं. जुलाई 31, 2020
- स्वर्गीय ग्रहों में, यद्यपि पुरुष और स्त्रियाँ मैथुन का आनंद लेते हैं, लेकिन वहाँ कोई गर्भधारण नहीं होता. जुलाई 31, 2020
- यदि व्यक्ति परम भगवान तक वापस लौटना चाहता है, तो उसे स्वयं ही यौन जीवन से परहेज करना चाहिए. जुलाई 31, 2020
- कलि-युग में पति और पत्नी के बीच का संबंध यौन शक्ति पर आधारित होगा. जुलाई 31, 2020
- भक्तों के मध्य विवाह. जुलाई 31, 2020
- तथाकथित संबंध भ्रम होते हैं. जुलाई 31, 2020
- केवल भगवान का नाम जपने से ही वयक्ति को पापमय जीवन की प्रतिक्रियाओं से मुक्ति मिलेगी. जुलाई 29, 2020
- हरे कृष्ण मंत्र के जाप की शक्ति. जुलाई 29, 2020
- अजामिल का जाप निरापद क्यों था? जुलाई 29, 2020
- वैदिक अनुष्ठानिक समारोहों से संकीर्तन अधिक महत्वपूर्ण है. जुलाई 29, 2020
- ओंकार से प्रारंभ होने वाले वैदिक मंत्रों का जप करना सीधे कृष्ण के नाम का जप करना होता है. जुलाई 29, 2020
- वह भगवान के पवित्र नाम का जाप लगातार करते हैं उनका घर लौटना निश्चित होता है. जुलाई 29, 2020
- जो तमो गुण के माध्यम से मानव रूप में आते हैं, वे अपने पिछले जीवन में वानर थे. जुलाई 22, 2020
- बाघ अपराधी नहीं होता यदि वह अन्य पशुओं पर आक्रमण करता और उनका मांस खाता है. जुलाई 22, 2020
- प्रायश्चित व्यक्ति के पाप कर्मों की गंभीरता के अनुसार होना चाहिए. जुलाई 22, 2020
- भगवान कृष्ण मूल रचियता हैं और भगवान ब्रम्हा द्वितीय रचियता है. जुलाई 14, 2020
- सत्यलोक में भगवान ब्रम्हा के साथ निवास करने वाले देवता वैकुंठलोक को जाते हैं. जुलाई 14, 2020
- यज्ञ का अर्थ विष्णु है. जुलाई 13, 2020
- ऐसा क्यों है कि लक्ष्मी, इतनी पवित्र पत्नी होकर भी, कृष्ण से संबंध चाहती हैं? जुलाई 13, 2020
- जीवों द्वारा विभिन्न प्रकार के शरीर स्वीकारे जाने के लिए भगवान उत्तदायी नहीं हैं. जुलाई 13, 2020
- कृष्ण न तो प्रार्थनाओं से प्रभावित होते हैं और न ही निन्दा से. जुलाई 13, 2020
- परम भगवान की आत्म निर्भरता का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि वे अपने भगवान पर निर्भर रहते हैं. जुलाई 13, 2020
- परम भगवान सभी के प्रति तटस्थ होते हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान का गुणगान व्यक्ति के हृदय से मैल को पूर्ण रूप से मिटा देता है. जुलाई 10, 2020
- यमराज कौन हैं? जुलाई 10, 2020
- इस युग के लोग भगवान के परम व्यक्तित्व के ऐश्वर्य को समझने में धीमे हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान रामचंद्र, भगवान कृष्ण के समान ही हैं. जुलाई 10, 2020
- भाग्य की देवी (लक्ष्मी) को गोपियों के समान उपकार नहीं मिल सकता था। जुलाई 10, 2020
- सभी जीवों के वास्तविक पति कृष्ण ही हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान शिव सदैव भगवान संकर्षण का ध्यान तल्लीनता में करते हैं. जुलाई 10, 2020
- आध्यात्मिक संसार के अतिरिक्त, भगवान की पूजा हमेशा अर्च-विग्रह के रूप में की जाती है. जुलाई 10, 2020
- जीवन की पूर्णता मृत्यु के समय नारायण (कृष्ण) का स्मरण करने में होती है. जुलाई 10, 2020
- भगवान के बारे में अटकलें न लगाएँ जुलाई 2, 2020
- कृष्ण हमें कुछ त्रुटिपूर्ण करने की आज्ञा क्यों देते हैं? जुलाई 2, 2020
- भगवान द्वारा जीवन की मानवीय आवश्यकताओं की संपूर्ण पूर्ति की जाती है जुलाई 2, 2020
- भौतिक जगत में आनंद के स्वर्गीय स्थान जुलाई 2, 2020
- भारत-वर्ष (भारत) के निवासी धीरे-धीरे पतित होते जा रहे हैं जुलाई 2, 2020
- आकाश में हम जो भी नक्षत्र देखते हैं, वह इस एक ब्रम्हांड के भीतर ही हैं जुलाई 2, 2020
- भारत-वर्ष (भारत) विशेष भूमि है जुलाई 2, 2020
- ब्रम्हांड में गंगा का अवतरण जुलाई 2, 2020
- ग्रह और नक्षत्र किस प्रकार आकाश में तैर रहे हैं? जुलाई 2, 2020
- सूर्य की गति जुलाई 2, 2020
- “कृष्ण चेतना” प्रसन्नता का वास्तविक स्रोत. जुलाई 1, 2020
- हमें चिढ़ने के स्थान पर चीज़ों को सहन करना चाहिए. मई 8, 2020
- हर किसी को छिपा हुआ खजाना का वर मिला हुआ है. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक गीत पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम का वर्णन करते हैं. अप्रैल 30, 2020
- लोग आध्यात्मिक जीवन में रुचि नहीं रखते. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक संसार में कोई सुख नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- मानवों को माया के अधीन क्यों रखा जाता है? अप्रैल 30, 2020
- संसार की गतिविधियाँ पुरुष और स्त्री के केंद्रीय आकर्षण के द्वारा प्रचालित की जा रही हैं. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक संपन्नता भगवान की दया पर निर्भर होती है. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक प्रकृति की तीन अवस्थाओं के बाध्यकारी प्रभाव कभी भी नहीं जीते जा सकते. अप्रैल 30, 2020
- मानव रूप भौतिक प्रकृति का विशेष उपहार है. अप्रैल 30, 2020
- कई बार देखा गया कोई भी पदार्थ अंततः संतृप्ति के नियम से अनाकर्षक हो जाता है. अप्रैल 30, 2020
- हमें दान किसे करना चाहिए? अप्रैल 30, 2020
- मानव जीवन तथाकथित आर्थिक विकास या भौतिक विज्ञान की उन्नति के लिए नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- हर कोई बुद्धि के विभिन्न स्तरों से संपन्न होता है. अप्रैल 30, 2020
- इन्द्रिय संतुष्टि के उद्देश्य से और परम भगवान को संतुष्ट करने के उद्देश्य के लिए भौतिक गतिविधियाँ. अप्रैल 30, 2020
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- भगवान शिव से भौतिक आशीर्वाद प्राप्त करना कठिन नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- निर्बल ही बलवान का भोजन है. हमें भगवान को भोजन क्यों चढ़ाना चाहिए? क्या हम भगवान को मांस भेंट कर सकते हैं? अप्रैल 30, 2020
- मांसाहारी भोजन करने का निषेध क्यों है, शाकाहारी भोजन करने पर पौधों जैसे गतिहीन प्राणियों की हत्या भी शामिल होगी? अप्रैल 30, 2020
- योग अभ्यास उन व्यक्तियों द्वारा सफलतापूर्वक किया जा सकता है जिनके पास जीवन की बहुत लंबी अवधि है. अप्रैल 30, 2020
- श्राद्ध क्या है? भगवान के भक्त को ऐसे कर्मकांड करने की आवश्यकता नहीं होती है. अप्रैल 30, 2020
- माँ जुड़वाँ बच्चों को उल्टी अवस्था में जन्म देती है जैसे कि वे गर्भ में पहली बार आए थे. अप्रैल 30, 2020
- इंद्रियाँ शरीर के भीतर की दस प्रकार की वायुओं से बल पाती हैं. अप्रैल 30, 2020
- भगवान के व्यक्तिगत रूप का बोध योग का उच्चतम आदर्श चरण है. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक विज्ञान की कोई भी वैज्ञानिक उन्नति कभी भी जीव को उत्पन्न नहीं कर सकती है. अप्रैल 30, 2020
- जनसंख्या में वृद्धि के कारण पृथ्वी पर कभी भी अधिक भार नहीं पड़ा है. अप्रैल 30, 2020
- मायावी भौतिक ऊर्जा सबको ठग रही है. अप्रैल 30, 2020
- क्या कृष्ण अपने भक्तों की भौतिक कामनाओं को पूरा करते हैं? अप्रैल 30, 2020
- आत्म बोध के लिए या इंद्रिय संतुष्टि के लिए तपस्या? अप्रैल 21, 2020
- इस संसार में शांति कैसे पाई जा सकती है? अप्रैल 21, 2020
- व्यक्ति को अपने परिवार के सदस्यों, देशवासियों, समाज और समुदाय के लिए कल्याणकारी गतिविधियों में बहुत अधिक संलग्न नहीं होना चाहिए. अप्रैल 14, 2020
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- भौतिक संसार बद्ध आत्मा को किस प्रकार दुख पहुँचाता है? अप्रैल 3, 2020
- मैं कष्ट क्यों भोग रहा हूँ? अप्रैल 3, 2020
- भौतिक भोग छोड़ने के बाद व्यक्ति कैसे जीवन यापन कर सकता है? अप्रैल 3, 2020
- बद्ध जीव मिथ्या भोगी क्यों होते हैं? अप्रैल 3, 2020
- क्या कामनाविहीन होना संभव है? अप्रैल 3, 2020
- इंद्रिय तुष्टि को बुरा क्यों माना जाता है? अप्रैल 3, 2020
- परम स्तर आध्यात्मिक है जबकि भौतिक संसार द्वैत से भरा है. अप्रैल 3, 2020
- भौतिक प्रगति बुरी नहीं है, उसका उपयोग भगवान की सेवा में करें. अप्रैल 3, 2020
- विविधता भोग की जननी है. पूर्ण सत्य भिन्नता से भरा है. मार्च 16, 2020
- जीवन के मानव रूप को महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? मार्च 16, 2020
- हमारी वैधानिक स्थिति सेवा करने की है. मार्च 16, 2020
- एक मनुष्य इस भौतिक संसार से किस प्रकार आसक्त रहता है? मार्च 16, 2020
- भगवान किस प्रकार से झूठी अनासक्ति को मिटाने में सहायता देते हैं? मार्च 16, 2020
- मेरे पास सभी भौतिक एश्वर्य हैं मुझे भगवान तक क्यों जाना चाहिए? मार्च 16, 2020
- प्रकृति की भौतिक अवस्थाएँ. मार्च 16, 2020
- यदि कर्म के नियम के अनुसार सब कुछ पूर्वनिश्चित है तो फिर हमें कार्य क्यों करना चाहिए? फ़रवरी 20, 2020
- एक विशुद्ध भक्त कभी भी भौतिक सांसारिक प्रसंगों में नहीं उलझता है. फ़रवरी 10, 2020
- कलियुग के लक्षण. फ़रवरी 10, 2020
- एक भक्त अपनी वास्तविक अवस्था के प्रति हमेशा सचेत रहता है. फ़रवरी 10, 2020
- स्मृति और विस्मृति कृष्ण से ही आती है. फ़रवरी 10, 2020
- क्या कृष्ण चेतना के अभ्यास के लिए वेश-भूषा, रूप-रंग जैसे किसी विशेष नियम का पालन करना होता है? फ़रवरी 10, 2020
- कृष्ण ही मूल भोक्ता हैं. फ़रवरी 10, 2020
- भगवान रामचंद्र छः एश्वर्यों के साथ एक पूर्ण अवतार हैं. फ़रवरी 10, 2020
- भगवान के परम व्यक्तित्व में न तो वासना होती है न ही क्रोध. फ़रवरी 10, 2020
- श्रेष्ठ का अनुगमन करना क्यों महत्वपूर्ण है? फ़रवरी 10, 2020
- भगवान की योजना को कोई नहीं जान सकता. फ़रवरी 10, 2020
- भगवान का पुरुष अवतार. फ़रवरी 10, 2020
- भगवान के पारलौकिक गुण. फ़रवरी 10, 2020
- विभिन्न युगों में भगवान की पूजा विभिन्न प्रकार से की जाती है. फ़रवरी 10, 2020
- गोपियों का कृष्ण के लिए प्रेम भौतिक नहीं है? फ़रवरी 10, 2020
- भगवान को कैसे अनुभव किया जा सकता है? भगवान के रूप फ़रवरी 10, 2020
- हमें भगवान को अपने आकर्षण का केंद्र क्यों बनाना चाहिए. फ़रवरी 10, 2020
- परम भगवान हमारी जीवन शैली को निर्देशित करने की समस्त शक्ति रखते हैं, फिर वे ऐसा क्यों नहीं करते? फ़रवरी 10, 2020
- आध्यात्मिक संसार में लोग अपने वास्तविक घर के बारे में नहीं जानते. फ़रवरी 10, 2020
- मानव जन्म आत्म-साक्षात्कार के लिए एक महान अवसर होता है. फ़रवरी 4, 2020
- हमें भक्ति सेवा निष्पादित करते समय सावधान रहना चाहिए. फ़रवरी 4, 2020
- कोई भक्त अपने पिछले दुर्व्यवहार और अनैतिक गतिविधियों से कैसे प्रभावित होता है? फ़रवरी 4, 2020
- ब्राम्हण कौन होता है? फ़रवरी 4, 2020
- आध्यात्मिक पथ इतना मंगल होता है कि एक भक्त किसी भी स्थिति में नहीं खो सकता. फ़रवरी 4, 2020
- वैष्णव-अपराध एक प्रकार से भक्ति सेवा के प्रति बाधा होता है. फ़रवरी 4, 2020
- जब एक भक्त किसी तीर्थस्थान पर स्नान करता है, तो पापी पुरुषों द्वारा छोड़ी गई पापमय प्रतिक्रियाएँ निष्प्रभावी हो जाती हैं. फ़रवरी 4, 2020
- यदि अभक्तों की कामनाएँ पूरी की जाती हैं, तो भक्तों की क्यों नहीं? फ़रवरी 4, 2020
- प्रयोजन के साथ भक्ति. फ़रवरी 3, 2020
- अपनी स्वतंत्रता का दुरुपयोग करके, जीव भगवान की सेवा से पतित हो जाता है. जनवरी 27, 2020
- कृष्ण चेतना में जब कोई नवदीक्षित बहुत अधिक खाता है तो वह नीचे गिरता है. जनवरी 27, 2020
- इंद्रिय तुष्टि की वैदिक प्रक्रिया की योजना इस प्रकार बनाई गई है कि व्यक्ति अंततः मुक्ति पा सके. जनवरी 27, 2020
- ब्राम्हण और वैष्णव किसी अन्य के व्यय पर नहीं रहते. जनवरी 27, 2020
- एक भक्त को बहुत सादा जीवन जीना चाहिए और विपरीत तत्वों के द्वैत से बाधित नहीं होना चाहिए. जनवरी 27, 2020
- मिथ्या ब्राम्हण की सेवा करके व्यक्ति को लाभ नहीं मिलेगा. जनवरी 27, 2020
- कृष्ण चेतना में कुछ भी प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन हर चीज़ को युक्त, नियमित बनाया गया है. जनवरी 27, 2020
- मृत्यु के समय व्यक्ति उन विचारों में खो जाएगा जो उसने जीवन भर की अवधि में पोषित किए हैं. जनवरी 27, 2020
- वह दर्शन जो भगवान की भक्ति सेवा का लक्ष्य नहीं करती उसे मानसिक अटकल माना जाता है. जनवरी 27, 2020
- अतीत की गतिविधियों की निरंतरता के रूप में मुक्त आत्मा की गतिविधियों को स्वीकार किया जाएगा. जनवरी 27, 2020
- मायावादी और एक विशुद्ध भक्त में अंतर. जनवरी 27, 2020
- भक्ति क्यों मुक्ति से श्रेष्ठ है? जनवरी 27, 2020
- एक स्त्री को सन्यास नहीं लेना चाहिए. जनवरी 27, 2020
- एक भक्त कभी भी उलटफेर से व्याकुल नहीं होता, जब भगवान के परम व्यक्तित्व द्वारा कोई व्यवस्था की जाती है. जनवरी 27, 2020
- यदि कोई भक्ति सेवा में रत हो, तो हो सकता है उसे वर्णाश्रम-धर्म की प्रणाली से नहीं गुज़रना होगा. जनवरी 27, 2020
- आध्यात्मिक संसार के लक्षण. जनवरी 27, 2020
- भगवान की भक्ति सेवा सभी परिस्थितियों में अनियंत्रणीय होती है. जनवरी 27, 2020
- भक्ति हमारे इंद्रिय तुष्टि के आकर्षण को कैसे कम कर सकती है? जनवरी 23, 2020
- कृष्ण के प्रति सहज आकर्षण. जनवरी 23, 2020
- भक्ति सेवा के लिए सुनने (श्रवणम्) का सुझाव क्यों दिया जाता है? जनवरी 23, 2020
- कृष्ण के अनुयायी माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं? जनवरी 23, 2020
- भक्तों के प्रकार. जनवरी 23, 2020
- विशुद्ध भक्ति सेवा के लक्षण. जनवरी 23, 2020
- हमारे ध्यान का प्रयोजन क्या होना चाहिए? जनवरी 23, 2020
- किसी भक्त की संगति महत्वपूर्ण क्यों है? जनवरी 23, 2020
- विभिन्न प्रकार की मुक्तियाँ क्या हैं जिन्हें व्यक्ति पा सकता है? जनवरी 23, 2020
- यदि मैं इस जीवन में कृष्ण चेतना अर्जित करने में असफल रहूँ, तो मेरे आगामी जीवन में क्या होगा? जनवरी 23, 2020
- यदि आप आध्यात्मिक सेवा में नहीं जुड़े हैं तो त्यागी जीवन की व्यवस्था कार्य क्यों नहीं करेगी? जनवरी 23, 2020
- भक्ति क्या है? जनवरी 23, 2020
- भक्त भौतिक समृद्धि की कामना नहीं करता. जनवरी 23, 2020
- क्या अवयक्तिवादी और नास्तिक भी भगवान के धाम में स्थान प्राप्त करते हैं? जनवरी 21, 2020
- महाजन कौन होते हैं. जनवरी 21, 2020
- भगवान का ध्वनि से प्रतिनिधित्व स्वयं भगवान के समान कैसे होता है? जनवरी 21, 2020
- परम भगवान की ऊर्जाएँ. जनवरी 21, 2020
- व्यक्ति किसी अवतार के लक्षण कैसे समझ सकता है? जनवरी 21, 2020
- राधारानी कौन हैं? जनवरी 10, 2020
- कभी-कभी भगवान ब्रह्मा, नारद या भगवान शिव जैसे महान व्यक्तित्वों को भी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है. जनवरी 10, 2020
- आत्म-निर्भर होने के कारण, परम भगवान को महान बलियों की आवश्यकता नहीं होती. जनवरी 10, 2020
- भगवान एक हैं. जनवरी 10, 2020
- भगवान चैतन्य कौन हैं? जनवरी 9, 2020
- भगवान का आदर्श व्यवहार हमें शिक्षा देने के लिए है. जनवरी 9, 2020
- सर्वोच्च इच्छा अंतिम निर्णय है. जनवरी 9, 2020
- भगवान शिव के कुछ अनुयायी उनकी नकल करते हैं और गांजा (मारिजुआना) जैसे नशीले पदार्थ लेने का प्रयास करते हैं. जनवरी 9, 2020
- द्क्ष (शिव के श्वसुर) का श्राप अप्रत्यक्ष रूप से शिव के लिए वरदान था. जनवरी 9, 2020
- भगवान शिव सभी के आध्यात्मिक गुरु हैं, उदासीन दैत्यों और अत्यंत विद्वान वैष्णव दोनों के. जनवरी 9, 2020
- भगवान कभी-कभी अपनी युद्ध भावना को प्रकट करने के लिए एक अवतार के रूप में भौतिक संसार में आते हैं. जनवरी 9, 2020
- परम भगवान सदैव सर्वश्रेष्ठ हैं. जनवरी 9, 2020
- भगवान परम भगवान के चार व्यक्तित्वों के रूप में विस्तार लेते हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान विष्णु (कृष्ण) को त्रि-युग के रूप में जाना जाता है. जनवरी 7, 2020
- भगवान शिव कौन हैं? जनवरी 7, 2020
- भगवान किसी भी जीव की भूमिका पूर्णता से निभा सकते हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान और उनके सहयोगी भगवान की इच्छा से प्रकट और अप्रकट होते हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान ने स्वयं के शरीर में ही प्रस्थान किया. जनवरी 7, 2020
- भगवान कृष्ण की नित्य लीलाएँ बिना अंत के चली आ रही हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान सभी के हृदय में साक्षी के रूप में स्थित हैं. जनवरी 7, 2020
- जब प्रत्येक वस्तु और कुछ नहीं, स्वयं भगवान ही है, तो हमें भगवान की पूजा क्यों करना चाहिए? जनवरी 7, 2020
- भगवान अवैयक्तिक नहीं हैं. जनवरी 7, 2020
- परम भगवान श्रीकृष्ण सभी जीवों के पिता हैं. जनवरी 7, 2020
- सभी प्राणियों को परम भगवान का अंश कहा जाता है. जनवरी 7, 2020
- हमारे हृदय में भगवान की उपस्थिति को व्यक्ति कैसे देख सकता है? जनवरी 7, 2020
- परम भगवान सभी संसारों के दृष्टा हैं. जनवरी 7, 2020
- जिस प्रकार माता का लगाव शिशु के साथ सहज होता है, उसी प्रकार, भगवान हमेशा प्रत्येक जीव के प्रति स्नेहिल होते हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान की इच्छा के बिना घास का एक तिनका भी नहीं हिलता. जनवरी 7, 2020
- हर कोई परम भगवान के नियंत्रण के अधीन है. जनवरी 7, 2020
- सामान्य भौतिक बद्ध आत्माएँ अटकलें लगाती हैं कि भगवान उनमें से एक हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान कृष्ण शत प्रतिशत हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान कृष्ण प्रत्यक्ष अवतार हैं. जनवरी 7, 2020
- भगवान के आत्म और भगवान के पारलौकिक शरीर में कोई अंतर नहीं होता है. जनवरी 3, 2020
- लोग देवताओं की पूजा क्यों करते हैं? जनवरी 2, 2020
- क्या भगवान को देखना संभव है? दिसम्बर 31, 2019
- मूर्ति पूजा. दिसम्बर 31, 2019
- कृष्ण की 16,000 से भी अधिक पत्नियाँ क्यों थीं? दिसम्बर 31, 2019
- भगवान अवतार क्यों लेते हैं? दिसम्बर 27, 2019
- क्या भगवान दया करने में भेदभाव करते हैं? दिसम्बर 27, 2019
- क्या भगवान कोई व्यक्ति हैं? दिसम्बर 27, 2019
- क्या हम योग के माध्यम से भगवान का अनुभव कर सकते हैं? दिसम्बर 27, 2019
- भगवान का नाम कृष्ण क्यों है? दिसम्बर 27, 2019
- भगवान के पास कौन पहुँच सकता है? दिसम्बर 27, 2019
- आध्यात्मिक जीवन/भगवान से संबंध रखने के लिए तप की आवश्यकता क्यों होती है? दिसम्बर 27, 2019
- देवता कौन हैं, क्या देवता मानव भी हैं? दिसम्बर 27, 2019
- भगवान के अवतार और भगवान के विस्तार में क्या अंतर है? दिसम्बर 27, 2019
- शास्त्रों के अनुसार धर्म के क्या सिद्धांत हैं? दिसम्बर 20, 2019
- हम अपने नित्य जीवन में कई सारे कीटों और प्राणियों को अनजाने में मार देते हैं, क्या हमें इसका प्रतिफल भोगना पड़ेगा? दिसम्बर 9, 2019
- आत्मा का स्थानांतरगमन क्या होता है? दिसम्बर 9, 2019
- ब्रम्हांड के विघटन के बाद भिन्न-भिन्न आत्माओं का क्या होता है? दिसम्बर 9, 2019
- जीवित ऊर्जा के बिना, ऐसी कोई संभावना नहीं होती कि पदार्थ उत्पन्न हो सकें. दिसम्बर 9, 2019
- भगवान बुद्ध ने आत्मा के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी है. दिसम्बर 9, 2019
- जीव का बोध तब सक्रिय हो जाता है जब स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर विकसित हो जाते हैं. दिसम्बर 9, 2019
- मूर्ख लोग आत्मा के अस्तित्व से इंकार करते हैं. दिसम्बर 9, 2019
- वेद और पुराणों में क्या अंतर है? दिसम्बर 9, 2019
- इस भौतिक संसार में तथाकथित प्रेम और कुछ नहीं बल्कि यौन संतुष्टि है. दिसम्बर 3, 2019
- दहेज सद्भावना दिखाने के लिए पिता द्वारा पुत्री को दिया गया उपहार है. दिसम्बर 3, 2019
- पुराने समय में भी अंतर्जातीय विवाह प्रचलित थे. दिसम्बर 3, 2019
- समान प्रवृत्ति के जीवनसाथी से विवाह करना क्यों आवश्यक है? दिसम्बर 3, 2019
- भौतिक संबंध परिपूर्ण नहीं होते. दिसम्बर 3, 2019
- विशुद्ध प्रेम क्या है? दिसम्बर 3, 2019
- किसी से प्रेम करना हमारी प्रकृति में है. दिसम्बर 3, 2019
- परम सत्य सदैव के लिए सुंदर होता है. दिसम्बर 3, 2019
- भौतिक प्रेम और आध्यात्मिक प्रेम में क्या अंतर है? दिसम्बर 3, 2019
- जिन जीवों के पास जीवन शक्ति होती है वे निष्क्रिय पदार्थ से श्रेष्ठ होते हैं. दिसम्बर 2, 2019
- मन हमें हमेशा ऐसा करने या वैसा करने को कहता रहता है. दिसम्बर 2, 2019
- सभी नक्षत्र – तारे, सूर्य और चंद्रमा – सीमित आत्मा की गतिविधियों के साक्षी हैं. दिसम्बर 2, 2019
- जीवन पदार्थ से मिलता है या पदार्थ जीवन से मिलता है? दिसम्बर 2, 2019
- मिथ्या अहंकार जीवों को किस प्रकार विस्मृति के बंधन में फ़ंसा लेता है. दिसम्बर 2, 2019
- भौतिक शरीर से मुक्ति पाकर आत्मा कहाँ जाती है? दिसम्बर 2, 2019
- महत्-तत्व विशुद्ध चेतना की परछाईं है जहाँ से जीवों के मिथ्या अहंकार का जन्म होता है. दिसम्बर 2, 2019