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- जितना अधिक व्यक्ति यौन सुख का आसक्त होता है, उतनी ही शीघ्रता से उसकी मृत्यु होने की आशंका होती है. (3,055)
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- महत्-तत्व विशुद्ध चेतना की परछाईं है जहाँ से जीवों के मिथ्या अहंकार का जन्म होता है. (2,710)
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- व्यक्ति पापमय कर्मों की प्रतिक्रियाओं को कैसे रोक सकता है? (2,589)
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- पुराने समय में भी अंतर्जातीय विवाह प्रचलित थे. (2,563)
- भगवान की इच्छा के बिना घास का एक तिनका भी नहीं हिलता. (2,551)
- वेदों में लिखी बातों का विश्वास हमें क्यों करना चाहिए? (2,549)
- शास्त्रों के अनुसार धर्म के क्या सिद्धांत हैं? (2,546)
- किसी से प्रेम करना हमारी प्रकृति में है. (2,537)
- सभी प्राणियों को परम भगवान का अंश कहा जाता है. (2,529)
- समय का कारक इतना बाध्यकारी होता है कि कालांतर में इस भौतिक संसार की सभी वस्तुएँ समाप्त हो जाती हैं या खो जाती हैं. (2,527)
- मोक्ष की प्राप्ति के लिए अनुकूल संतति का निर्माण करके व्यक्ति भगवान की सेवा कर सकते हैं. (2,522)
- जब प्रत्येक वस्तु और कुछ नहीं, स्वयं भगवान ही है, तो हमें भगवान की पूजा क्यों करना चाहिए? (2,518)
- भौतिक शरीर से मुक्ति पाकर आत्मा कहाँ जाती है? (2,511)
- कृष्ण के अनुयायी जाप क्यों करते हैं? (2,511)
- हमें भौतिक शरीर को कब तक स्वीकारना होगा? (2,510)
- हमारे जीवन पर खगोलीय प्रभाव (2,504)
- भौतिक संसार में यौन जीवन को आवश्यकता से अधिक प्रोत्साहित नहीं करना चाहिए. (2,498)
- क्या प्रत्येक क्रिया की प्रतिक्रिया होती है? (2,496)
- परम सत्य सदैव के लिए सुंदर होता है. (2,495)
- हम अपने नित्य जीवन में कई सारे कीटों और प्राणियों को अनजाने में मार देते हैं, क्या हमें इसका प्रतिफल भोगना पड़ेगा? (2,494)
- भक्ति क्या है? (2,493)
- वैदिक साहित्य भौतिक अस्तित्व का निर्वाह करने के बारे में भी निर्देश देता है. (2,486)
- भगवान शिव सभी के आध्यात्मिक गुरु हैं, उदासीन दैत्यों और अत्यंत विद्वान वैष्णव दोनों के. (2,466)
- आसुरी जनसंख्या की वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए गर्भाधान प्रक्रिया का पालन करना महत्वपूर्ण है. (2,465)
- भगवान भौतिक संसार का निर्माण अपनी संतुष्टि के लिए नहीं करते. (2,455)
- अन्य ग्रहों पर जीवन की अवधि (2,455)
- स्त्रीगमन एक अनावश्यक बोझ है जो आत्म-ज्ञान को बाधित करता है. (2,454)
- क्या भगवान कोई व्यक्ति हैं? (2,453)
- भगवान की दृष्टि के बिना कोई भी भौतिक रचना नहीं हो सकती. (2,451)
- लोग देवताओं की पूजा क्यों करते हैं? (2,444)
- परम भगवान सदैव सर्वश्रेष्ठ हैं. (2,442)
- हमारे हृदय में भगवान की उपस्थिति को व्यक्ति कैसे देख सकता है? (2,432)
- यमराज के धाम में दंड की प्रक्रिया. (2,426)
- कृष्ण चेतना बौद्ध दर्शन और मायावादियों से किस प्रकार से भिन्न है? (2,421)
- धर्म क्या है? (2,420)
- सृजन की पूरी प्रक्रिया क्रमिक विकास का एक कार्य है. (2,410)
- कर्म के नियम के परिणामों को केवल भगवान ही बदल सकते हैं. (2,398)
- एक स्त्री को सन्यास नहीं लेना चाहिए. (2,395)
- क्या अन्य ग्रहों पर जीवन है? (2,393)
- उन आध्यात्मिक गुरुओं (बाबा) का क्या जो भगवान होने का दावा करते हैं? (2,383)
- परम भगवान श्रीकृष्ण सभी जीवों के पिता हैं. (2,372)
- जब पुरुष का स्खलन अधिक होता है, तब पुरुष शिशु गर्भ में आता है. (2,372)
- ब्रम्हांड का विलयन किस प्रकार होता है? (2,361)
- वर्तमान संकट के लिए पिछले कर्म किस प्रकार उत्तरदायी होते हैं? (2,357)
- अर्जुन भगवद् गीता का माध्यम थे जबकि उनके पोते परीक्षित श्रीमद् भागवतम् के लिए माध्यम बने. (2,353)
- यमराज द्वारा यह निर्धारित किया जाता है कि व्यक्ति को अगली बार उसके पिछले कर्मों के अनुसार किस प्रकार का शरीर मिलेगा. (2,348)
- यह कृष्ण चेतना आंदोलन बस कृष्ण की उपासना का ही पक्ष क्यों लेता है? (2,348)
- प्रत्येक व्यक्ति को नियत कर्तव्य निभाने पड़ते हैं. (2,346)
- भगवद्-गीता और श्रीमद्-भागवतम् जैसे आध्यात्मिक साहित्य का सौंदर्य यह है कि वे कभी पुराने नहीं होते. (2,336)
- क्या भगवान कृष्ण के भक्तों को अपने पिछले कुकर्मों के लिए कष्ट भोगना पड़ेगा? (2,324)
- क्या भौतिक कामनाओं की पूर्ति के लिए गुरु के पास जाना गलत है? (2,308)
- समान प्रवृत्ति के जीवनसाथी से विवाह करना क्यों आवश्यक है? (2,299)
- यह प्रमाण कहाँ है कि मैं पिछले कर्मों के प्रतिफल का ही कष्ट उठा रहा हूँ और आनंद ले रहा हूँ? (2,285)
- भगवान परम भगवान के चार व्यक्तित्वों के रूप में विस्तार लेते हैं. (2,280)
- मूर्ति पूजा. (2,280)
- मैं कौन हूँ? (2,280)
- समय (काल) का प्रभाव अलौकिक स्तर पर कार्यशील नहीं होता. (2,278)
- मन हमारे पिछले जीवन के दौरान आए विभिन्न विचारों और अनुभवों का भंडार है. (2,275)
- भगवान सभी के हृदय में साक्षी के रूप में स्थित हैं. (2,268)
- कृष्ण की 16,000 से भी अधिक पत्नियाँ क्यों थीं? (2,266)
- यहाँ तक कि ब्रम्हा जैसे महान देवता और भगवान शिव भी स्त्री सौंदर्य से मोहित हो जाते हैं. (2,263)
- काल और दिक् (2,263)
- कलियुग में, कोई भी जीव पापमय गतिविधि का पीड़ित तब तक नहीं बनता जब तक कि वह कृत्य वास्वव में नहीं किया जाता. (2,262)
- भगवान के आत्म और भगवान के पारलौकिक शरीर में कोई अंतर नहीं होता है. (2,258)
- समय (काल) का नियंत्रण सब पर है. (2,257)
- ब्रम्हांड के विघटन के बाद भिन्न-भिन्न आत्माओं का क्या होता है? (2,254)
- सात महासागर ओर सात द्वीपों की रचना कैसे हुई? (2,254)
- देवी काली सामिष भोजन कभी स्वीकार नहीं करतीं क्योंकि वे भगवान शिव की पवित्र पत्नी हैं. (2,253)
- हर कोई परम भगवान के नियंत्रण के अधीन है. (2,250)
- मानव को शास्त्रों की सहायता से अपने जीवन की मूल स्थिति को पुनर्जीवित करने का अवसर दिया जाता है. (2,249)
- आत्मा का स्थानांतरगमन क्या होता है? (2,225)
- मन अच्छाई में अहंकार का उत्पाद है और बुद्धि लालसा में अहंकार का उत्पाद है. (2,213)
- भगवान किसी भी जीव की भूमिका पूर्णता से निभा सकते हैं. (2,212)
- कोई भी भौतिक वैज्ञानिक प्रगति जीवन का निर्माण नहीं कर सकती. (2,202)
- भगवान कृष्ण शत प्रतिशत हैं. (2,201)
- भगवान कृष्ण की नित्य लीलाएँ बिना अंत के चली आ रही हैं. (2,196)
- भगवान चैतन्य कौन हैं? (2,194)
- मूर्ख लोग आत्मा के अस्तित्व से इंकार करते हैं. (2,192)
- कृष्ण के अनुयायी माथे पर तिलक क्यों लगाते हैं? (2,185)
- शास्त्रों के अनुसार धर्म के क्या सिद्धांत हैं? (2,170)
- वर्तमान तथाकथित हिंदू नियम शास्त्रों के अनुसार नहीं है? (2,170)
- मिथ्या अहंकार जीवों को किस प्रकार विस्मृति के बंधन में फ़ंसा लेता है. (2,168)
- क्या भगवान दया करने में भेदभाव करते हैं? (2,166)
- भगवान रामचंद्र छः एश्वर्यों के साथ एक पूर्ण अवतार हैं. (2,160)
- क्या जाप करना एक ही जैसा नीरस नहीं है? (2,160)
- क्या आध्यात्मिक जीवन का अर्थ स्वेच्छा से निर्धनता को स्वीकार करना है? (2,151)
- मिथ्या अहंकार के द्वारा ही सभी भौतिक वस्तुओं का निर्माण भोग के साधनों के रूप में होता है. (2,149)
- भौतिक संबंध परिपूर्ण नहीं होते. (2,142)
- सामान्य भौतिक बद्ध आत्माएँ अटकलें लगाती हैं कि भगवान उनमें से एक हैं. (2,132)
- भगवान अवैयक्तिक नहीं हैं. (2,131)
- भगवान और उनके सहयोगी भगवान की इच्छा से प्रकट और अप्रकट होते हैं. (2,123)
- भगवान विष्णु (कृष्ण) को त्रि-युग के रूप में जाना जाता है. (2,121)
- भगवान ने स्वयं के शरीर में ही प्रस्थान किया. (2,108)
- भगवान अवतार क्यों लेते हैं? (2,101)
- एक वैष्णव के गुण. (2,097)
- क्या भगवान को देखना संभव है? (2,082)
- अवैध यौन संबंध के कारण कई भक्त पतित हो जाते हैं. (2,080)
- कलियुग के लिए श्रीमद्-भागवतम् की कुछ भविष्यवाणियाँ. (2,058)
- विशुद्ध भक्ति सेवा के लक्षण. (2,025)
- पूजा के ढंग में परिवर्तन विशिष्ट समय, देश और सुविधा के अनुसार अनमत हैं. (2,017)
- जीव पहले वह शरीर स्वीकार करता है जो मानव रूप में हो. (2,013)
- आरंभ में ब्रम्हा ने केवल संत समान पुत्र ही नहीं उत्पन्न किए अपितु राक्षसी संतानें भी रचीं. (2,005)
- जीवित ऊर्जा के बिना, ऐसी कोई संभावना नहीं होती कि पदार्थ उत्पन्न हो सकें. (1,991)
- परम भगवान सभी संसारों के दृष्टा हैं. (1,977)
- दहेज सद्भावना दिखाने के लिए पिता द्वारा पुत्री को दिया गया उपहार है. (1,973)
- इस भौतिक संसार में तथाकथित प्रेम और कुछ नहीं बल्कि यौन संतुष्टि है. (1,966)
- जिस प्रकार माता का लगाव शिशु के साथ सहज होता है, उसी प्रकार, भगवान हमेशा प्रत्येक जीव के प्रति स्नेहिल होते हैं. (1,965)
- जीवन की अवधि भिन्न-भिन्न प्राणियों के लिए भिन्न कैसे है? (1,959)
- मन हमें हमेशा ऐसा करने या वैसा करने को कहता रहता है. (1,927)
- कृष्ण के प्रति सहज आकर्षण. (1,925)
- आध्यात्मिक संसार में यौन जीवन का कोई महत्व नहीं है. (1,920)
- भौतिक संसार के जंगल में स्त्री का पीछा करना जारी है. (1,912)
- आध्यात्मिक संसार में कोई यौन संबंध नहीं होते. (1,910)
- मृत्यु के समय हर जीवित व्यक्ति को चिंता होती है कि उसकी पत्नी का क्या होगा. (1,908)
- जैन धर्म का आरंभ (1,906)
- व्यक्ति किसी अवतार के लक्षण कैसे समझ सकता है? (1,901)
- क्या धर्म भगवान ने बनाया है? (1,884)
- किसी जीव की परिणामी कर्म उसे विभिन्न प्रकार के शरीरों के स्वीकार करने के लिए बाध्य करती हैं. (1,871)
- सर्वोच्च इच्छा अंतिम निर्णय है. (1,868)
- ध्रुवलोक नामक, ध्रुवतारा, ब्रम्हांड की धुरी है, और सभी ग्रह इसी ध्रुवतारे की परिक्रमा में ही गति करते हैं. (1,865)
- हरे कृष्ण मंत्र का जाप करना अर्च-विग्रह की पूजा से अधिक शक्तिशाली होता है. (1,856)
- क्या विभिन्न धर्मों के अनुयायी भी वैष्णव होते हैं? (1,856)
- कभी-कभी भगवान ब्रह्मा, नारद या भगवान शिव जैसे महान व्यक्तित्वों को भी भगवान के रूप में संबोधित किया जाता है. (1,846)
- जिन जीवों के पास जीवन शक्ति होती है वे निष्क्रिय पदार्थ से श्रेष्ठ होते हैं. (1,843)
- भगवान को कैसे अनुभव किया जा सकता है? भगवान के रूप (1,834)
- गोपियों का कृष्ण के लिए प्रेम भौतिक नहीं है? (1,826)
- भगवान के परम व्यक्तित्व में न तो वासना होती है न ही क्रोध. (1,820)
- भगवान कभी-कभी अपनी युद्ध भावना को प्रकट करने के लिए एक अवतार के रूप में भौतिक संसार में आते हैं. (1,818)
- कलियुग के लक्षण. (1,816)
- भगवान शिव कौन हैं? (1,812)
- भगवान रामचंद्र, भगवान कृष्ण के समान ही हैं. (1,811)
- मायावादी और एक विशुद्ध भक्त में अंतर. (1,801)
- गर्भनिरोधी विधियों से जनसंख्या सीमित करना भी पापमय कर्म है. (1,800)
- द्क्ष (शिव के श्वसुर) का श्राप अप्रत्यक्ष रूप से शिव के लिए वरदान था. (1,789)
- भक्ति क्यों मुक्ति से श्रेष्ठ है? (1,784)
- प्रकृति की भौतिक अवस्थाएँ. (1,781)
- सभी नक्षत्र – तारे, सूर्य और चंद्रमा – सीमित आत्मा की गतिविधियों के साक्षी हैं. (1,777)
- जीव का बोध तब सक्रिय हो जाता है जब स्थूल शरीर और सूक्ष्म शरीर विकसित हो जाते हैं. (1,774)
- भगवान का ध्वनि से प्रतिनिधित्व स्वयं भगवान के समान कैसे होता है? (1,772)
- आध्यात्मिक संसार के लक्षण. (1,771)
- जीवन के मानव रूप में एक पुरुष और स्त्री संभोग के इंद्रिय सुख के लिए मिलन करते हैं. (1,766)
- भगवान की भक्ति सेवा सभी परिस्थितियों में अनियंत्रणीय होती है. (1,762)
- भगवान बुद्ध ने आत्मा के बारे में कोई भी जानकारी नहीं दी है. (1,759)
- एक मनुष्य इस भौतिक संसार से किस प्रकार आसक्त रहता है? (1,753)
- किसी भक्त की संगति महत्वपूर्ण क्यों है? (1,742)
- गृहस्थ जीवन की तुलना अंधकूप से क्यों की जाती है? (1,733)
- अजामिल का जाप निरापद क्यों था? (1,730)
- स्मृति और विस्मृति कृष्ण से ही आती है. (1,722)
- भगवान शिव से भौतिक आशीर्वाद प्राप्त करना कठिन नहीं है. (1,720)
- भगवान के पारलौकिक गुण. (1,709)
- परम भगवान की ऊर्जाएँ. (1,704)
- क्या अवयक्तिवादी और नास्तिक भी भगवान के धाम में स्थान प्राप्त करते हैं? (1,698)
- मांसाहारी भोजन करने का निषेध क्यों है, शाकाहारी भोजन करने पर पौधों जैसे गतिहीन प्राणियों की हत्या भी शामिल होगी? (1,696)
- भौतिक प्रकृति की तीन अवस्थाओं के बाध्यकारी प्रभाव कभी भी नहीं जीते जा सकते. (1,691)
- कृष्ण ही मूल भोक्ता हैं. (1,691)
- भगवान एक हैं. (1,672)
- हमें भगवान को अपने आकर्षण का केंद्र क्यों बनाना चाहिए. (1,670)
- यमराज कौन हैं? (1,667)
- हमारे ध्यान का प्रयोजन क्या होना चाहिए? (1,656)
- कलि-युग में पति और पत्नी के बीच का संबंध यौन शक्ति पर आधारित होगा. (1,646)
- क्या कृष्ण अपने भक्तों की भौतिक कामनाओं को पूरा करते हैं? (1,638)
- यदि कोई भक्ति सेवा में रत हो, तो हो सकता है उसे वर्णाश्रम-धर्म की प्रणाली से नहीं गुज़रना होगा. (1,631)
- बद्ध जीव मिथ्या भोगी क्यों होते हैं? (1,623)
- प्रयोजन के साथ भक्ति. (1,619)
- यदि व्यक्ति परम भगवान तक वापस लौटना चाहता है, तो उसे स्वयं ही यौन जीवन से परहेज करना चाहिए. (1,614)
- हरे कृष्ण मंत्र और ओंकार में क्या अंतर होता है? (1,608)
- भौतिक संसार में कोई सुख नहीं है. (1,607)
- वह भगवान के पवित्र नाम का जाप लगातार करते हैं उनका घर लौटना निश्चित होता है. (1,604)
- भगवद्-गीता में देवताओं के वरदानों की निंदा की गई है. (1,595)
- भौतिक गीत पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम का वर्णन करते हैं. (1,592)
- निर्बल ही बलवान का भोजन है. हमें भगवान को भोजन क्यों चढ़ाना चाहिए? क्या हम भगवान को मांस भेंट कर सकते हैं? (1,592)
- भक्ति हमारे इंद्रिय तुष्टि के आकर्षण को कैसे कम कर सकती है? (1,592)
- श्रेष्ठ का अनुगमन करना क्यों महत्वपूर्ण है? (1,585)
- भगवान शिव के कुछ अनुयायी उनकी नकल करते हैं और गांजा (मारिजुआना) जैसे नशीले पदार्थ लेने का प्रयास करते हैं. (1,579)
- हमें दान किसे करना चाहिए? (1,573)
- क्या कृष्ण चेतना के अभ्यास के लिए वेश-भूषा, रूप-रंग जैसे किसी विशेष नियम का पालन करना होता है? (1,572)
- लक्ष्मीदेवी किसी भौतिकवादी व्यक्ति को अपना आशीर्वाद नहीं देतीं. (1,570)
- श्राद्ध क्या है? भगवान के भक्त को ऐसे कर्मकांड करने की आवश्यकता नहीं होती है. (1,567)
- ओंकार से प्रारंभ होने वाले वैदिक मंत्रों का जप करना सीधे कृष्ण के नाम का जप करना होता है. (1,564)
- जीवन पदार्थ से मिलता है या पदार्थ जीवन से मिलता है? (1,556)
- भक्त भौतिक समृद्धि की कामना नहीं करता. (1,554)
- कृष्ण चेतना में कुछ भी प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन हर चीज़ को युक्त, नियमित बनाया गया है. (1,553)
- भौतिक विज्ञान की कोई भी वैज्ञानिक उन्नति कभी भी जीव को उत्पन्न नहीं कर सकती है. (1,552)
- भौतिक संपन्नता भगवान की दया पर निर्भर होती है. (1,551)
- हमें चिढ़ने के स्थान पर चीज़ों को सहन करना चाहिए. (1,545)
- भौतिक प्रगति बुरी नहीं है, उसका उपयोग भगवान की सेवा में करें. (1,539)
- विभिन्न युगों में भगवान की पूजा विभिन्न प्रकार से की जाती है. (1,536)
- एक भक्त कभी भी उलटफेर से व्याकुल नहीं होता, जब भगवान के परम व्यक्तित्व द्वारा कोई व्यवस्था की जाती है. (1,527)
- हरे कृष्ण मंत्र के जाप की शक्ति. (1,522)
- एक भक्त अपनी वास्तविक अवस्था के प्रति हमेशा सचेत रहता है. (1,522)
- मानव रूप भौतिक प्रकृति का विशेष उपहार है. (1,520)
- भौतिक भोग छोड़ने के बाद व्यक्ति कैसे जीवन यापन कर सकता है? (1,516)
- विभिन्न प्रकार की मुक्तियाँ क्या हैं जिन्हें व्यक्ति पा सकता है? (1,513)
- ऐसा क्यों है कि लक्ष्मी, इतनी पवित्र पत्नी होकर भी, कृष्ण से संबंध चाहती हैं? (1,511)
- मानव जीवन तथाकथित आर्थिक विकास या भौतिक विज्ञान की उन्नति के लिए नहीं है. (1,500)
- एक विशुद्ध भक्त कभी भी भौतिक सांसारिक प्रसंगों में नहीं उलझता है. (1,494)
- आत्म-निर्भर होने के कारण, परम भगवान को महान बलियों की आवश्यकता नहीं होती. (1,490)
- हमारी वैधानिक स्थिति सेवा करने की है. (1,487)
- कृष्ण चेतना में जब कोई नवदीक्षित बहुत अधिक खाता है तो वह नीचे गिरता है. (1,486)
- भगवान के व्यक्तिगत रूप का बोध योग का उच्चतम आदर्श चरण है. (1,485)
- पुरुष और स्त्री की समझ में अंतर होता है. (1,481)
- वासना के कारण अवैध यौन संबंध सर्वाधिक प्रचलित है. (1,477)
- मानवों को माया के अधीन क्यों रखा जाता है? (1,474)
- भक्तों के प्रकार. (1,472)
- हर किसी को छिपा हुआ खजाना का वर मिला हुआ है. (1,471)
- व्यक्ति केवल किसी शुद्ध भक्त की सेवा के द्वारा ही कृष्ण को समझ सकता है. (1,469)
- अति विकसित आध्यात्मवादी सुझाते हैं कि व्यक्ति को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं लेना चाहिए. (1,464)
- आत्मा अमर है. (1,462)
- यदि आप आध्यात्मिक सेवा में नहीं जुड़े हैं तो त्यागी जीवन की व्यवस्था कार्य क्यों नहीं करेगी? (1,462)
- भक्ति सेवा के लिए सुनने (श्रवणम्) का सुझाव क्यों दिया जाता है? (1,456)
- जीवन की पूर्णता मृत्यु के समय नारायण (कृष्ण) का स्मरण करने में होती है. (1,453)
- भगवान का गुणगान व्यक्ति के हृदय से मैल को पूर्ण रूप से मिटा देता है. (1,450)
- व्यक्ति को इंद्रिय सुख पर वीर्य को बर्बाद नहीं करना चाहिए. (1,440)
- परम भगवान हमारी जीवन शैली को निर्देशित करने की समस्त शक्ति रखते हैं, फिर वे ऐसा क्यों नहीं करते? (1,434)
- विविधता भोग की जननी है. पूर्ण सत्य भिन्नता से भरा है. (1,432)
- मिथ्या ब्राम्हण की सेवा करके व्यक्ति को लाभ नहीं मिलेगा. (1,431)
- परम भगवान की आत्म निर्भरता का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि वे अपने भगवान पर निर्भर रहते हैं. (1,426)
- इंद्रिय तुष्टि को बुरा क्यों माना जाता है? (1,422)
- उपदेश भगवान की सर्वोत्तम सेवा है. (1,413)
- भगवान शिव सदैव भगवान संकर्षण का ध्यान तल्लीनता में करते हैं. (1,411)
- व्यक्ति मन को कैसे नियंत्रित कर सकता है? (1,409)
- भगवत-धर्म में यह प्रश्न नहीं होता कि “आप क्या विश्वास करते हैं” और “मैं क्या विश्वास करता हूँ”. (1,406)
- भौतिक संसार बद्ध आत्मा को किस प्रकार दुख पहुँचाता है? (1,400)
- मैं कष्ट क्यों भोग रहा हूँ? (1,400)
- भारत-वर्ष (भारत) के निवासी धीरे-धीरे पतित होते जा रहे हैं (1,395)
- एक भक्त को बहुत सादा जीवन जीना चाहिए और विपरीत तत्वों के द्वैत से बाधित नहीं होना चाहिए. (1,394)
- पत्थर की नाव में न बैठें. (1,393)
- आध्यात्मिक प्रगति के लिए, व्यक्ति को भौतिक रूप से संतुष्ट होना चाहिए. (1,391)
- यज्ञ का अर्थ विष्णु है. (1,391)
- वैदिक नियमों के बिना एक समाज मानवता के लिए बहुत सहायक नहीं होगा. (1,390)
- जीवन के मानव रूप को महत्वपूर्ण क्यों माना जाता है? (1,390)
- इंद्रियाँ शरीर के भीतर की दस प्रकार की वायुओं से बल पाती हैं. (1,389)
- भगवान की योजना को कोई नहीं जान सकता. (1,389)
- हर कोई बुद्धि के विभिन्न स्तरों से संपन्न होता है. (1,388)
- एक भक्त स्वाभाविक रूप से इतना विनम्र और मृदुल होता है कि वह जीवन की किसी भी स्थिति को भगवान के आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करता है. (1,386)
- कृष्ण न तो प्रार्थनाओं से प्रभावित होते हैं और न ही निन्दा से. (1,383)
- संसार-चक्र, भौतिक अस्तित्व का पहिया. (1,382)
- सभी शास्त्र निवृत्ति मार्ग, या भौतिकवादी जीवन शैली को छोड़ने का सुझाव देते हैं. (1,382)
- केवल भगवान का नाम जपने से ही वयक्ति को पापमय जीवन की प्रतिक्रियाओं से मुक्ति मिलेगी. (1,382)
- भगवान कृष्ण मूल रचियता हैं और भगवान ब्रम्हा द्वितीय रचियता है. (1,380)
- वर्तमान समय में कई संप्रदाय हैं जो प्रामाणिक नहीं हैं. (1,377)
- लगातार कृष्ण का चिंतन करने की दो विधियाँ होती हैं – भक्त के रूप में और किसी शत्रु के रूप में. (1,376)
- नित्य-सिद्ध भक्त कौन होते हैं? (1,372)
- जो मांस भक्षण करना चाहते हैं वे निम्नतर प्राणियों को खाकर अपनी जिव्हा को तृप्त कर सकते हैं. (1,371)
- आध्यात्मिक संसार में लोग अपने वास्तविक घर के बारे में नहीं जानते. (1,370)
- मेरे पास सभी भौतिक एश्वर्य हैं मुझे भगवान तक क्यों जाना चाहिए? (1,366)
- व्यक्ति को अन्य लोगों को सुखी देख कर प्रसन्न होना चाहिए. (1,365)
- कृष्ण कहते हैं कि उस भक्त से सब कुछ ले लेते हैं जिनका पक्ष वे विशेष रूप से लेते हैं. (1,362)
- आत्म बोध के लिए या इंद्रिय संतुष्टि के लिए तपस्या? (1,362)
- भगवानविहीन सभ्यता किसी भी क्षण नष्ट हो सकती है. (1,361)
- यदि मैं इस जीवन में कृष्ण चेतना अर्जित करने में असफल रहूँ, तो मेरे आगामी जीवन में क्या होगा? (1,360)
- व्यक्ति को किसी एकांत स्थल में किसी स्त्री के साथ नहीं रहना चाहिए. (1,359)
- भाग्य की देवी (लक्ष्मी) को गोपियों के समान उपकार नहीं मिल सकता था। (1,357)
- भगवान किस प्रकार से झूठी अनासक्ति को मिटाने में सहायता देते हैं? (1,357)
- सभी जीवों के वास्तविक पति कृष्ण ही हैं. (1,356)
- कई बार देखा गया कोई भी पदार्थ अंततः संतृप्ति के नियम से अनाकर्षक हो जाता है. (1,348)
- माँ जुड़वाँ बच्चों को उल्टी अवस्था में जन्म देती है जैसे कि वे गर्भ में पहली बार आए थे. (1,348)
- आध्यात्मिक जीवन के अनुसार जितना हो सके स्वर्ण से बचना चाहिए. (1,347)
- स्त्रियाँ स्वभाव से ही स्वार्थी होती हैं. (1,346)
- हम सुख के नाम पर नारकीय स्थितियाँ भोग रहे हैं. (1,338)
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- जो चुनाव हम करते हैं वही हमारा भविष्य निर्धारित करेगा. अप्रैल 21, 2022
- आत्म-साक्षात्कार इच्छाहीनता की नहीं बल्कि शुद्धीकृत इच्छाओं की अवस्था होती है. अप्रैल 21, 2022
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- आधुनिक विद्वानों और राजनेताओं के लिए भगवद् गीता की व्याख्या करना फैशन बन गया है. अप्रैल 15, 2022
- अक्षौहिणी क्या है? अप्रैल 15, 2022
- सतयुग में केवल एक वेद था और ऊँकार ही एकमात्र मंत्र था. अप्रैल 15, 2022
- वे जो भगवान के मायावी सामर्थ्य से सशक्त होते हैं कृष्ण के साथ एक अप्रत्यक्ष संबंध में होते हैं. अप्रैल 15, 2022
- जब व्यक्ति परम सत्य के सीधे संपर्क में होता है तो सभी अप्रत्यक्ष प्राधिकरण लुप्त हो जाते हैं. अप्रैल 15, 2022
- आचार्य का कर्तव्य उन साधनों की खोज है जिनके द्वारा भक्त सेवा कर पाए. अप्रैल 15, 2022
- परमात्मा कर्म की उलझनों से उस प्रकार बंधा नहीं होता जैसे कि जीव. अप्रैल 14, 2022
- एक सच्चे भक्त द्वारा भोगा गया दुख तकनीकी रूप से कोई कर्म की प्रतिक्रिया नहीं है. अप्रैल 14, 2022
- भगवान शिव भगवान विष्णु के मोहिनी मूर्ति अवतार से किस प्रकार आकर्षित थे? जुलाई 28, 2021
- पश्चिमी देश भौतिक सभ्यता के शिखर पर पहुँच गए हैं. मई 3, 2021
- सत्ता का दुरुपयोग अंततः समाज के लिए नहीं बल्कि उस व्यक्ति के लिए खतरनाक है जो इसका दुरुपयोग करता है. मई 3, 2021
- आधुनिक सभ्यता की प्रवृत्ति निर्धन को दान में धन देने की है. मई 3, 2021
- संतुष्टि के बिना व्यक्ति सुखी नहीं हो सकता भले ही उसके पास संसार भर की संपत्ति हो. मई 3, 2021
- अतिथि का सत्कार करना एक गृहस्थ का कर्तव्य होता है, भले ही अतिथि कोई शत्रु हो. मई 3, 2021
- गृहस्थ जीवन का उद्देश्य आध्यात्मिक ज्ञान में प्रगति करना भी होता है. मई 3, 2021
- जो सोना और चांदी खोजते हैं उन्हें भगवान शिव की उपासना करना चाहिए. मई 3, 2021
- चंद्रमा अन्न का स्रोत होता है. मई 3, 2021
- जल प्रत्येक के लिए जीवन का स्रोत है. मई 3, 2021
- इस भौतिक संसार में प्रत्येक चरण पर जोखिम होता है. मई 3, 2021
- यदि स्त्री का पति आध्यात्मि रूप से उन्नत हो तो उसे आध्यात्मिक संसार में प्रवेश करने का अवसर स्वतः मिल जाएगा. अप्रैल 30, 2021
- एकांत स्थान भी सुरक्षित नहीं होता है जब तक कि अच्छी संगति न हो. अप्रैल 30, 2021
- एक शुद्ध भक्त सदैव ही भगवान की पारलौकिक प्रसन्नता को बढ़ाने में लगा होता है. अप्रैल 30, 2021
- चूँकि शरीर चिर काल तक नहीं रह सकता, व्यक्ति को शरीर का उपयोग आध्यात्मिक यात्रा में प्रगति के लिए करना चाहिए. अप्रैल 30, 2021
- साधना-सिद्ध और कृपा-सिद्ध भक्तों में क्या अंतर होता है? अप्रैल 30, 2021
- पूर्ण रूप से कृष्ण की सेवा में लगे शरीर को भौतिक मानकर उसकी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए. अप्रैल 30, 2021
- शरीर की सहायता के बिना, व्यक्ति धर्म प्रणाली का निर्वाह नहीं कर सकता. अप्रैल 30, 2021
- सभी लोगों को, भले ही वे कर्मी, ज्ञानी, योगी या भक्त हों, निरपवाद रूप से वासुदेव के चरण कमलों की शरण लेनी चाहिए. अप्रैल 30, 2021
- कोई भी अपना वास्तविक आत्म-हित नहीं समझता. अप्रैल 30, 2021
- भक्त किस प्रकार कर्मियों से हमेशा भिन्न होता है. अप्रैल 30, 2021
- समुद्र मंथन द्वारा सबसे पहले बहुत बड़ी मात्रा में विष निर्मित होता है. अप्रैल 30, 2021
- कृष्ण चेतना का प्रसार करना परम कल्याणकारी गतिविधि है. अप्रैल 30, 2021
- भगवान चैतन्य व्यक्ति सदैव प्रसन्न और विजयी होता है. अप्रैल 30, 2021
- वे गीत जो स्वीकृत नहीं हैं या जो प्रामाणिक भक्तों द्वारा नहीं गाए जाते अनुमत नहीं होते. अप्रैल 30, 2021
- दीक्षा के बाद, शिष्य को बहुत सावधान होना चाहिए कि वह कोई पापमय कर्म न करे. अप्रैल 30, 2021
- एक भक्त खतरे को एक सुअवसर के रूप में देखता है. अप्रैल 30, 2021
- कभी-कभी जब कोई विकल्प नहीं होता, तो एक शुद्ध भक्त आशीर्वाद के लिए प्रार्थना करता है. अप्रैल 30, 2021
- हरे कृष्णा संकीर्तन आंदोलन कब तक जारी रहेगा? अप्रैल 29, 2021
- यदि मृत्यु के समय कोई भी भौतिक कामना न हो तो सूक्ष्म शरीर समाप्त हो जाता है. अप्रैल 29, 2021
- अविकसित भ्रूण को गर्भ में नष्ट कर देना पाप होता है. अप्रैल 29, 2021
- आधुनिक चिकित्सा शास्त्र अभी तक नहीं खोज पाया है कि किसी मृत शरीर को वापस जीवत कैसे किया जाए. अप्रैल 29, 2021
- जीवन सभी भौतिक तत्वों से स्वतंत्र होता है. अप्रैल 29, 2021
- मृत्यु का भय सभी को लगता है. अप्रैल 29, 2021
- वैदिक सभ्यता में राजतंत्र को पसंद किया जाता है. अप्रैल 29, 2021
- गंगा में स्नान का सुझाव क्यों दिया जाता है? अप्रैल 29, 2021
- संकीर्तन-यज्ञ शास्त्रों में कलियुग के लिए सुझाया गया त्याग है. अप्रैल 29, 2021
- वैदिक नियम के अनुसार, तलाक नाम की कोई चीज़ नहीं होती. अप्रैल 29, 2021
- शास्त्रों के अनुसार धन का व्यय किस प्रकार किया जाना चाहिए? अप्रैल 29, 2021
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- भौतिक रचना का मूल कारण भगवान की दृष्टि है. अप्रैल 22, 2021
- वर्तमान में कौनसे मनु का शासन है? अप्रैल 22, 2021
- एक आदर्श राजा के रूप में, भगवान रामचंद्र ने केवल एक पत्नी को स्वीकार किया था. अप्रैल 22, 2021
- कोई भी भगवान के परम व्यक्तित्व को कुछ भी नहीं दे सकता, क्योंकि वे सभी वस्तुों में परिपूर्ण होते हैं. अप्रैल 22, 2021
- भगवान का परम व्यक्तित्व राहु का पता क्यों नहीं लगा सका. अप्रैल 22, 2021
- भगवान शिव के माध्यम से भगवान विष्णु भौतिक गतिविधियाँ निष्पादित करते हैं. अप्रैल 22, 2021
- देवताओं और दैत्यों के बीच अंतर. अप्रैल 22, 2021
- सभी प्रकार की उपासनाओं में, भगवान विष्णु की उपासना सर्वश्रेष्ठ होती है. अप्रैल 22, 2021
- सूर्य परम भगवान के नेत्र के समान है. अप्रैल 22, 2021
- व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं है कि वह भगवान को स्वीकार कर सकने के पहले उन्हें देखे. अप्रैल 22, 2021
- उपदेश भगवान की सर्वोत्तम सेवा है. सितम्बर 24, 2020
- सभी पापमय कृत्यों में किसी वैष्णव के प्रति अपराध सबसे गंभीर होता है. सितम्बर 24, 2020
- जो व्यक्ति इंद्रिय संतुष्टि के लिए गंभीर तपस्या करता है वह पूरी दुनिया के लिए डरावना होता है. सितम्बर 24, 2020
- भक्ति सेवा में, स्पष्ट भौतिक ऐश्वर्य भौतिक नहीं होते, वे सभी आध्यात्मिक होते हैं. सितम्बर 24, 2020
- सकाम और अकाम भक्तों के बीच अंतर. सितम्बर 24, 2020
- वह जो बहुत शक्तिशाली हो उसे दोषरहित मानना चाहिए. सितम्बर 23, 2020
- वासना के कारण अवैध यौन संबंध सर्वाधिक प्रचलित है. सितम्बर 23, 2020
- देवताओं के नाम के आधार पर कीर्तन करना दोष होता है. सितम्बर 21, 2020
- व्यक्ति बलराम की दया के बिना जीवन के लक्ष्य अर्जित नहीं कर सकता. सितम्बर 21, 2020
- आध्यात्मिक प्रगति के लिए, व्यक्ति को भौतिक रूप से संतुष्ट होना चाहिए. सितम्बर 21, 2020
- व्यक्ति की भक्ति सेवा व्यर्थ कैसे हो जाती है? सितम्बर 21, 2020
- मायावादियों और वैष्णवों के दर्शन में अंतर. सितम्बर 21, 2020
- न ही मृत्यु और न ही जीवन की प्रशंसा करनी चाहिए. सितम्बर 21, 2020
- एक ब्राह्मण के व्यावसायिक कर्तव्य को निचले सामाजिक वर्ण के व्यक्तियों द्वारा स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. सितम्बर 21, 2020
- 30 योग्यताएँ जिन्हें जीवन के मानव रूप में अवश्य अर्जित करना चाहिए. सितम्बर 21, 2020
- नित्य-सिद्ध भक्त कौन होते हैं? सितम्बर 20, 2020
- भगवान को समझने की प्रक्रिया भक्ति है. सितम्बर 20, 2020
- मुक्ति की प्रक्रिया भक्तों के लिए अभीष्ट नहीं है. सितम्बर 20, 2020
- व्यक्ति केवल किसी शुद्ध भक्त की सेवा के द्वारा ही कृष्ण को समझ सकता है. सितम्बर 20, 2020
- यदि भगवान का हाथ प्रत्येक वस्तु में है, तो मुक्त होने का प्रश्न कहाँ है? सितम्बर 20, 2020
- अंतिम शरण्य केवल भगवान ही हैं. सितम्बर 20, 2020
- एक भक्त उसके जीवन की किसी भी परिस्थिति में भाग्यशाली होता है. सितम्बर 20, 2020
- भगवान कभी-कभी अपनी युद्ध भावना को प्रकट करने के लिए एक अवतार के रूप में भौतिक संसार में आते हैं. सितम्बर 17, 2020
- बुद्धिहीन पशु भी भगवान के परम व्यक्तित्व के पुत्र होते हैं. सितम्बर 17, 2020
- आत्मा को स्त्री शरीर में स्थानांतरित कैसे किया जाता है? सितम्बर 17, 2020
- व्यक्ति मन को कैसे नियंत्रित कर सकता है? सितम्बर 17, 2020
- आत्मा अमर है. सितम्बर 17, 2020
- व्यक्ति इंद्रिय तुष्टि की लालसा पर विजय कैसे पा सकता है? सितम्बर 17, 2020
- व्यक्ति को अपनी पत्नी के – या अन्य शब्दों में यौन जीवन प्रति आसक्ति को त्याग देना चाहिए. सितम्बर 17, 2020
- जीवन के मानव रूप में एक पुरुष और स्त्री संभोग के इंद्रिय सुख के लिए मिलन करते हैं. सितम्बर 17, 2020
- व्यक्ति को इंद्रिय सुख पर वीर्य को बर्बाद नहीं करना चाहिए. सितम्बर 17, 2020
- शास्त्रों द्वारा संपत्ति संचय करने की अनुमति नहीं दी गई है. सितम्बर 17, 2020
- आध्यात्मिक लाभ से विहीन साहित्य का तिरस्कार करना चाहिए. सितम्बर 17, 2020
- यदि आध्यात्मिक संसार में कोई वास्तविक मूलरूप न होता, तो इस संसार की विविधताएँ असंभव होतीं. सितम्बर 17, 2020
- वयक्ति के बलिदान, दान और अन्य पवित्र गतिविधियों के परिणाम समाप्त होने के बाद, व्यक्ति को निम्नतर ग्रह प्रणालियों पर वापस जाना पड़ता है. सितम्बर 17, 2020
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- हरे कृष्ण मंत्र और ओंकार में क्या अंतर होता है? सितम्बर 16, 2020
- हरे कृष्ण मंत्र का जाप करना अर्च-विग्रह की पूजा से अधिक शक्तिशाली होता है. सितम्बर 16, 2020
- धन की आसक्ति के कारण सबसे धनी व्यक्ति भी स्वयं से डरता है. सितम्बर 16, 2020
- संसार-चक्र, भौतिक अस्तित्व का पहिया. सितम्बर 16, 2020
- सभी सुखी होने का प्रयत्न कर रहे हैं. सितम्बर 16, 2020
- वरदानों के लिए कैसे प्रार्थना करें? सितम्बर 16, 2020
- वे जिनके चित्त भौतिक कामनाओं से विकृत हो जाते हैं, देवताओं की शरण लेते हैं. सितम्बर 16, 2020
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- भौतिक वादी शिक्षा माया का प्रभाव विस्तृत कर देता है. अगस्त 29, 2020
- व्यक्ति को किसी एकांत स्थल में किसी स्त्री के साथ नहीं रहना चाहिए. अगस्त 29, 2020
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- व्यक्ति को अन्य लोगों को सुखी देख कर प्रसन्न होना चाहिए. अगस्त 27, 2020
- पत्थर की नाव में न बैठें. अगस्त 26, 2020
- भौतिक संसार में व्यक्ति प्रत्येक पग पर कष्ट भोगता है, वह भोग करने के अपने प्रयास बंद नहीं करेगा. अगस्त 26, 2020
- पिता का कर्तव्य अपने पुत्रों को सांस्कृतिक शिक्षा देना होता है. अगस्त 26, 2020
- जो मांस भक्षण करना चाहते हैं वे निम्नतर प्राणियों को खाकर अपनी जिव्हा को तृप्त कर सकते हैं. अगस्त 26, 2020
- भले ही भौतिक उद्देश्यों के लिए, किंतु व्यक्ति को भगवान के परम व्यक्तित्व के अतिरिक्त किसी भी और की उपासना नहीं करना चाहिए. अगस्त 26, 2020
- लक्ष्मीदेवी किसी भौतिकवादी व्यक्ति को अपना आशीर्वाद नहीं देतीं. अगस्त 26, 2020
- लक्ष्मी को रखने की सर्वश्रेष्ठ विधि उन्हें नारायण के साथ रखना होती है. अगस्त 25, 2020
- जीव केवल अपनी शक्ति द्वारा जीवित रह सकते हैं. अगस्त 12, 2020
- लगातार कृष्ण का चिंतन करने की दो विधियाँ होती हैं – भक्त के रूप में और किसी शत्रु के रूप में. अगस्त 12, 2020
- एक भक्त स्वाभाविक रूप से इतना विनम्र और मृदुल होता है कि वह जीवन की किसी भी स्थिति को भगवान के आशीर्वाद के रूप में स्वीकार करता है. अगस्त 12, 2020
- अभक्त लोग परम भगवान या उनके भक्तों में उपस्थित विरोधाभास को नहीं समझ सकते. अगस्त 12, 2020
- दीक्षा के समय नाम परिवतर्ति करना आवश्यक क्यों होता है? अगस्त 12, 2020
- देवता यज्ञ के चढ़ावे को स्वीकार नहीं कर सकते. अगस्त 12, 2020
- एक वैष्णव के गुण. अगस्त 11, 2020
- अति विकसित आध्यात्मवादी सुझाते हैं कि व्यक्ति को गृहस्थ आश्रम में प्रवेश नहीं लेना चाहिए. अगस्त 11, 2020
- कृष्ण कहते हैं कि उस भक्त से सब कुछ ले लेते हैं जिनका पक्ष वे विशेष रूप से लेते हैं. अगस्त 11, 2020
- आध्यात्मिक जीवन के अनुसार जितना हो सके स्वर्ण से बचना चाहिए. अगस्त 11, 2020
- सभी शास्त्र निवृत्ति मार्ग, या भौतिकवादी जीवन शैली को छोड़ने का सुझाव देते हैं. जुलाई 31, 2020
- वैदिक नियमों के बिना एक समाज मानवता के लिए बहुत सहायक नहीं होगा. जुलाई 31, 2020
- भगवद्-गीता में देवताओं के वरदानों की निंदा की गई है. जुलाई 31, 2020
- भगवत-धर्म में यह प्रश्न नहीं होता कि “आप क्या विश्वास करते हैं” और “मैं क्या विश्वास करता हूँ”. जुलाई 31, 2020
- कुछ भौतिक लाभ प्राप्त करने हेतु, बद्ध आत्मा छद्म सन्यासियों और योगियों के पास पहुँच जाती है. जुलाई 31, 2020
- केवल सबसे भाग्यशाली व्यक्ति ही गुरु के संपर्क में आते हैं. जुलाई 31, 2020
- वर्तमान समय में कई संप्रदाय हैं जो प्रामाणिक नहीं हैं. जुलाई 31, 2020
- अवैध यौन संबंध के कारण कई भक्त पतित हो जाते हैं. जुलाई 31, 2020
- स्वर्गीय ग्रहों में, यद्यपि पुरुष और स्त्रियाँ मैथुन का आनंद लेते हैं, लेकिन वहाँ कोई गर्भधारण नहीं होता. जुलाई 31, 2020
- यदि व्यक्ति परम भगवान तक वापस लौटना चाहता है, तो उसे स्वयं ही यौन जीवन से परहेज करना चाहिए. जुलाई 31, 2020
- कलि-युग में पति और पत्नी के बीच का संबंध यौन शक्ति पर आधारित होगा. जुलाई 31, 2020
- भक्तों के मध्य विवाह. जुलाई 31, 2020
- तथाकथित संबंध भ्रम होते हैं. जुलाई 31, 2020
- केवल भगवान का नाम जपने से ही वयक्ति को पापमय जीवन की प्रतिक्रियाओं से मुक्ति मिलेगी. जुलाई 29, 2020
- हरे कृष्ण मंत्र के जाप की शक्ति. जुलाई 29, 2020
- अजामिल का जाप निरापद क्यों था? जुलाई 29, 2020
- वैदिक अनुष्ठानिक समारोहों से संकीर्तन अधिक महत्वपूर्ण है. जुलाई 29, 2020
- ओंकार से प्रारंभ होने वाले वैदिक मंत्रों का जप करना सीधे कृष्ण के नाम का जप करना होता है. जुलाई 29, 2020
- वह भगवान के पवित्र नाम का जाप लगातार करते हैं उनका घर लौटना निश्चित होता है. जुलाई 29, 2020
- जो तमो गुण के माध्यम से मानव रूप में आते हैं, वे अपने पिछले जीवन में वानर थे. जुलाई 22, 2020
- बाघ अपराधी नहीं होता यदि वह अन्य पशुओं पर आक्रमण करता और उनका मांस खाता है. जुलाई 22, 2020
- प्रायश्चित व्यक्ति के पाप कर्मों की गंभीरता के अनुसार होना चाहिए. जुलाई 22, 2020
- भगवान कृष्ण मूल रचियता हैं और भगवान ब्रम्हा द्वितीय रचियता है. जुलाई 14, 2020
- सत्यलोक में भगवान ब्रम्हा के साथ निवास करने वाले देवता वैकुंठलोक को जाते हैं. जुलाई 14, 2020
- यज्ञ का अर्थ विष्णु है. जुलाई 13, 2020
- ऐसा क्यों है कि लक्ष्मी, इतनी पवित्र पत्नी होकर भी, कृष्ण से संबंध चाहती हैं? जुलाई 13, 2020
- जीवों द्वारा विभिन्न प्रकार के शरीर स्वीकारे जाने के लिए भगवान उत्तदायी नहीं हैं. जुलाई 13, 2020
- कृष्ण न तो प्रार्थनाओं से प्रभावित होते हैं और न ही निन्दा से. जुलाई 13, 2020
- परम भगवान की आत्म निर्भरता का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि वे अपने भगवान पर निर्भर रहते हैं. जुलाई 13, 2020
- परम भगवान सभी के प्रति तटस्थ होते हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान का गुणगान व्यक्ति के हृदय से मैल को पूर्ण रूप से मिटा देता है. जुलाई 10, 2020
- यमराज कौन हैं? जुलाई 10, 2020
- इस युग के लोग भगवान के परम व्यक्तित्व के ऐश्वर्य को समझने में धीमे हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान रामचंद्र, भगवान कृष्ण के समान ही हैं. जुलाई 10, 2020
- भाग्य की देवी (लक्ष्मी) को गोपियों के समान उपकार नहीं मिल सकता था। जुलाई 10, 2020
- सभी जीवों के वास्तविक पति कृष्ण ही हैं. जुलाई 10, 2020
- भगवान शिव सदैव भगवान संकर्षण का ध्यान तल्लीनता में करते हैं. जुलाई 10, 2020
- आध्यात्मिक संसार के अतिरिक्त, भगवान की पूजा हमेशा अर्च-विग्रह के रूप में की जाती है. जुलाई 10, 2020
- जीवन की पूर्णता मृत्यु के समय नारायण (कृष्ण) का स्मरण करने में होती है. जुलाई 10, 2020
- भगवान के बारे में अटकलें न लगाएँ जुलाई 2, 2020
- कृष्ण हमें कुछ त्रुटिपूर्ण करने की आज्ञा क्यों देते हैं? जुलाई 2, 2020
- भगवान द्वारा जीवन की मानवीय आवश्यकताओं की संपूर्ण पूर्ति की जाती है जुलाई 2, 2020
- भौतिक जगत में आनंद के स्वर्गीय स्थान जुलाई 2, 2020
- भारत-वर्ष (भारत) के निवासी धीरे-धीरे पतित होते जा रहे हैं जुलाई 2, 2020
- आकाश में हम जो भी नक्षत्र देखते हैं, वह इस एक ब्रम्हांड के भीतर ही हैं जुलाई 2, 2020
- भारत-वर्ष (भारत) विशेष भूमि है जुलाई 2, 2020
- ब्रम्हांड में गंगा का अवतरण जुलाई 2, 2020
- ग्रह और नक्षत्र किस प्रकार आकाश में तैर रहे हैं? जुलाई 2, 2020
- सूर्य की गति जुलाई 2, 2020
- “कृष्ण चेतना” प्रसन्नता का वास्तविक स्रोत. जुलाई 1, 2020
- हमें चिढ़ने के स्थान पर चीज़ों को सहन करना चाहिए. मई 8, 2020
- हर किसी को छिपा हुआ खजाना का वर मिला हुआ है. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक गीत पुरुष और स्त्री के बीच प्रेम का वर्णन करते हैं. अप्रैल 30, 2020
- लोग आध्यात्मिक जीवन में रुचि नहीं रखते. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक संसार में कोई सुख नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- मानवों को माया के अधीन क्यों रखा जाता है? अप्रैल 30, 2020
- संसार की गतिविधियाँ पुरुष और स्त्री के केंद्रीय आकर्षण के द्वारा प्रचालित की जा रही हैं. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक संपन्नता भगवान की दया पर निर्भर होती है. अप्रैल 30, 2020
- भौतिक प्रकृति की तीन अवस्थाओं के बाध्यकारी प्रभाव कभी भी नहीं जीते जा सकते. अप्रैल 30, 2020
- मानव रूप भौतिक प्रकृति का विशेष उपहार है. अप्रैल 30, 2020
- कई बार देखा गया कोई भी पदार्थ अंततः संतृप्ति के नियम से अनाकर्षक हो जाता है. अप्रैल 30, 2020
- हमें दान किसे करना चाहिए? अप्रैल 30, 2020
- मानव जीवन तथाकथित आर्थिक विकास या भौतिक विज्ञान की उन्नति के लिए नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- हर कोई बुद्धि के विभिन्न स्तरों से संपन्न होता है. अप्रैल 30, 2020
- इन्द्रिय संतुष्टि के उद्देश्य से और परम भगवान को संतुष्ट करने के उद्देश्य के लिए भौतिक गतिविधियाँ. अप्रैल 30, 2020
- जनसंख्या को सामान का उपयोग करने का अधिकार केवल उसे भगवान के परम व्यक्तित्व को अर्पण कर देने के बाद ही होता है. अप्रैल 30, 2020
- दुर्लभ परिस्थितियों में जब अनाज की आपूर्ति नहीं होती है, तो सरकार मांस खाने की अनुमति दे सकती है. अप्रैल 30, 2020
- पृथु महाराज ने संसार पर शासन किया था. अप्रैल 30, 2020
- यदि सभी लोग मोक्ष प्राप्त करने के लिए आध्यात्मिक गतिविधियों में रत होंगे, तो चीज़ें वैसी की वैसी कैसे चल सकेंगी? अप्रैल 30, 2020
- श्राद्ध क्यों किया जाता है? अप्रैल 30, 2020
- सोम पेय कोई सामान्य मादक मदिरा नहीं है. अप्रैल 30, 2020
- कलियुग में, प्रशासकों की व्यक्तिगत सुख-सुविधाओं के लिए नागरिकों से कर वसूला जाता है. अप्रैल 30, 2020