मृत्यु के समय पर, स्थूल शरीर को अग्नि जला देता है, और यदि भौतिक भोग की कोई इच्छा नहीं हो तो सूक्ष्म शरीर भी समाप्त हो जाता है. ऐसा भगवद्-गीता में पुष्ट किया गया है (त्यक्त्व देहम् पुनर्जन्म नेति). यदि व्यक्ति स्थूल और सूक्ष्म भौतिक शरीरों के बंधन से मुक्त हो और शुद्ध आत्मा ही बचे, तो वह वापस घर, परम भगवान के पास, भगवान की सेवा में लीन होने के लिए पहुँच जाता है. त्यक्त्व देहम् पुनर्जन्म नेति मम एति : वह वापस घर, परम भगवान के पास जाता है.

स्रोत – अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), “श्रीमद् भागवतम्”, नवाँ सर्ग, अध्याय 6 – पाठ 54

(Visited 86 times, 1 visits today)
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •