जैसे आप अपने संकट की जाँच नहीं कर सकते, वैसे ही आप अपनी खुशी की जाँच नहीं कर सकते. जितना भी आर्थिक विकास हमारे लिए निर्धारित है, उसे हम प्राप्त करेंगे. जितनी भी प्रसन्नता या कष्ट हमारे लिए नियत है वह हमें मिलेगा ही. हम कष्ट पाने का प्रयास नहीं करते, लेकिन वह आता है; वह हम पर लादा गया है, उसी प्रकार, जबकि आप उसके लिए प्रयास नहीं करते, लेकिन जितनी थोड़ी भी प्रसन्नता आपको मिलनी है वह भी आएगी ही. इसलिए शास्त्र यह सुझाते हैं, “अपने समय को तथाकथित प्रसन्नता और कष्ट की चिंता में व्यर्थ गँवाने की बजाय, अपने बहुमूल्य समय को जीवन का लक्ष्य समझने में लगाना श्रेष्ठ है, इतनी समस्याएँ क्यों हैं, आपको अस्तित्व के लिए संघर्ष क्यों करना पड़ता है. यही आपका कार्य है.”

स्रोत:अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी) “ज्ञानप्राप्ति की खोज”, पृष्ठ 84
अभयचरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी) “आत्म-साक्षात्कार का विज्ञान”, पृष्ठ 208

(Visited 65 times, 1 visits today)
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •