भगवान एक हैं, और भगवान उस या इस धर्म से संबंध नहीं रखते हैं. कलियुग में विभिन्न धार्मिक संप्रदाय अपने ईश्वर को दूसरों के ईश्वर से अलग मानते हैं, लेकिन यह संभव नहीं है. भगवान एक है, और वह विभिन्न दृष्टिकोणों के अनुसार उनका गुणगान किया जाता है. इस श्लोक में कैवल्यत शब्द का अर्थ है कि भगवान का कोई प्रतिद्वंदी नहीं है. भगवान एक ही हैं. श्वेताशवतार उपनिषद् (6.8) में कहा गया है, न तत-समस् चभ्याधिकस च द्रश्यते: “कोई भी उनके समकक्ष या उनसे महान नहीं है”. यही भगवान कि परिभाषा है.

स्रोत: अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेजी) “श्रीमद् भागवतम्”, पंचम सर्ग, अध्याय 03- पाठ 17

 

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