“देवकी के गर्भ से रोहिणी के गर्भ में भेजे जाने के कारण रोहिणी के पुत्र को भी संकर्षण के रूप में मान्यता मिलेगी. गोकुल के सभी निवासियों को आनंदित करने की उनकी क्षमता के कारण उन्हें राम कहा जाएगा, और उनकी व्यापक शारीरिक शक्ति के कारण उन्हें बलभद्र के रूप में जाना जाएगा.” यही वे कुछ कारण हैं कि बलराम को संकर्षण, बलराम या कभी-कभी राम के रूप में जाना जाता है. महा-मंत्र – हरे कृष्ण, हरे कृष्ण, कृष्ण कृष्ण, हरे हरे / हरे राम, हरे राम, राम राम, हरे हरे – में राम को बलराम के रूप में स्वीकार किए जाने पर लोग कभी-कभी आपत्ति करते हैं. लेकिन यद्यपि भगवान राम के भक्त आपत्ति कर सकते हैं, उन्हंर यह ज्ञात रहना चाहिए कि बलराम और भगवान राम में कोई अंतर नहीं है. यहाँ श्रीमद-भागवतम में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि बलराम को राम (रामेति) के नाम से भी जाना जाता है. इसलिए, हमारे लिए भगवान बलराम का उद्धरण भगवान राम के रूप में देना कृत्रिम नहीं है. जयदेव गोस्वामी भी तीन रामों की बात करते हैं: परशुराम, रघुपति राम और बलराम. वे सभी राम हैं.

स्रोत:अभय चरणारविंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), श्रीमद् भागवतम्, दसवाँ सर्ग, अध्याय 02 – पाठ 13

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