ऐसा वास्तव में देखा गया है कि जो भी नियमित रूप से माँ गंगा की पूजा उसके जल में स्नान करते हुए करता है उसका स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है और वह धीरे-धीरे भगवान का भक्त हो जाता है. एसा गंगा में स्नान का प्रभाव होता है. वैदिक शास्त्रों में गंगा स्नान का अनुमोदन किया गया है, और जो भी इस मार्ग पर चलता है वह निश्चित ही समस्त पापमय प्रतिक्रियाओं से भली भाँति मुक्त हो जाएगा. इसका व्यावहारिक उदाहरण यह है कि महाराज सागर के पुत्रों के जले हुए शव की राख से गंगा के पानी के स्पर्श मात्र से ही वे पुत्र स्वर्गीय ग्रहों तक चले गए.

स्रोत – अभय चरणारविंद स्वामी प्रभुपाद (2014 संस्करण, अंग्रेज़ी), “श्रीमद् भागवतम्” , नवाँ सर्ग, अध्याय 9 – पाठ 14

(Visited 66 times, 1 visits today)
  • 4
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
  •  
    4
    Shares